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चंडीगढ़ महापौर चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने कहा,“लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे”

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चंडीगढ़ के महापौर का चुनाव कराने में संबंधित निर्वाचन अधिकारी पर मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ कर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को विजयी घोषित करने के आरोपों पर सोमवार को सख्त टिप्पणियां कीं और कहा कि वह “इस तरह से लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देगा।” मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनाव से संबंधित मूल दस्तावेजों को संरक्षित करने और नगर निकाय की बैठक स्थगित रखने का निर्देश देते हुए कहा कि निर्वाचन अधिकारी ने जिस तरह से चुनाव कार्यवाही का संचालन किया, उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की जरूरत है।

पीठ ने महापौर पद हारने वाले आम आदमी पार्टी (आप) पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनीं। इसके बाद आदेश दिया कि महापौर चुनाव मतपत्र, इससे संबंधित वीडियोग्राफी और अन्य सामग्री सहित चुनाव प्रक्रिया का पूरा दस्तावेज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार मनोज कुमार सोनकर को उनसे अधिक पार्षदों की संख्या बल वाले कांग्रेस-आप संयुक्त गठबंधन के उम्मीदवार श्री कुमार के मुकाबले विजयी घोषित किया गया था। निर्वाचन अधिकारी द्वारा आप-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार द्वारा प्राप्त 20 मतों में से आठ वोटों को रद्द घोषित करने के बाद भाजपा के श्री सोनकर ने जीत हासिल की थी।

कांग्रेस-आप उम्मीदवार श्री कुमार को मिले 12 वोटों के मुकाबले 16 वोट हासिल करने के बाद भाजपा के श्री सोनकर को पिछले मंगलवार को महापौर चुना गया। इस प्रक्रिया में आठ वोट अवैध घोषित कर दिये गये। कुमार ने निर्वाचन अधिकारी के इस फैसले को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी, जहां तत्काल राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा आया था।

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