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Child Labour : दो वक्त की रोटी के लिए बाल मजदूरों की संख्या में वृद्धि! रोटी, कपड़ा और मकान का सपना आज भी अधूरा

Child Labor

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Child Labour : आज महंगाई ने गरीब और साधारण परिवारों की कमर तोड़कर रख दी है। उसके कारण अधिकांश परिवारों के लोग रोजगार तलाशते दिखाई दे रहे हैं। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए साधारण परिवार के बच्चे भी घर की आय में वृद्धि हो इसके लिए काम पर लग लग गए हैं। जिसके कारण अब बाल मजदूरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते है कि मैंने बचपन में मजबूरी के कारण बहुत कठिनाई से चाय बेचकर अपना गुजारा करते थे। वही आज प्रधानमंत्री इन बाल मजदूरों पर ध्यान नहीं दे रहे है। जिसके कारण शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के चाय-पान टपरियों में आज की स्थिति में बाल मजबूर काम करते दिखाई दे रहे हैं। जिससे उनका भविष्य अब अंधेरे में दिख रहा है।

बढ़ती महंगाई के कारण शिक्षा लेना संभव नहीं
पैसों पर निर्भर शिक्षा अनिकांश बालक अन्य जगहों पर कार्य कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई के कारण शिक्षा लेना भी महंगा हो गया है। अंग्रेजी माध्यम की शाला हो या निजी शाला पढ़ाई में पैसा लगता ही है। शासन की नीति के अनुसार कक्षा 8वीं तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना है। लेकिन इसके अलावा भी अभिभावकों को पैसे खर्च करने पड़ते हैं। शिक्षा सिर्फ पैसे पर ही निर्भर है। ऐसा सामान्य वर्ग के अभिभावकों द्वारा कहा जाता है।

अब मजदूर अपने बच्चों को छोटे मोटे काम करने के लिए साथ में ला रहे हैं
आर्थिक तंगी से ग्रस्त अनेक परिवार घर निर्माण कार्य में भी अब मजदूर अपने बच्चों को मजबूर होकर छोटे मोटे काम करने के लिए साथ में ला रहे हैं। आज भी अनेक लोग दो वक्त की रोटी के मोहताज हैं। रोटी, कपड़ा और मकान का सपना आज भी लोग देख रहे है जिसे वे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। जरूरतमंदों के लिए शासन की अनेक योजनाएं है लेकिन वे योजनाएं उन तक नहीं पहुंच पाए हैं जिससे उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझता है। इस आर्थिक तंगी को दूर कर परिवार के बच्चे अन्य कार्यों में जुट जाते हैं। 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है, लेकिन सामग्री, कपड़े कापी, किताब आदि का खर्च कैसे और कहां से करे यह समस्या उन पर रहती है। अभिभावकों का आर्थिक बोझ कम हो इसके लिए बच्चे कार्य करने की तलाश में रहते है जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके।

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