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कांग्रेस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मेरे बयान को किया पेश : Amit Shah

Congress : बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासत जारी है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मेरे बयान को रखने का प्रयास किया। केंद्रीय गृह मंत्री.

Congress : बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासत जारी है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मेरे बयान को रखने का प्रयास किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘संसद में संविधान पर चर्चा हुई, लेकिन कांग्रेस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखा। कांग्रेस आरक्षण विरोधी, अंबेडकर विरोधी और संविधान विरोधी पार्टी है। कांग्रेस ने शहीदों और सेना का भी अपमान किया। कांग्रेस ने वीर सावरकर का भी अपमान किया। आपातकाल लगाकर उन्होंने सभी संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन किया।‘

उन्होंने कहा कि कल से कांग्रेस ने जिस तरह से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखने का प्रयास किया है, ये अत्यंत निंदनीय है और मैं इसकी निंदा करना चाहता हूं। ये इसलिए हुआ क्योंकि भाजपा के वक्ताओं ने संविधान पर, संविधान की रचना के मूल्यों पर और जब-जब कांग्रेस या भाजपा का शासन रहा, तब-तब संविधान का अनुपालन कसि तरह से कयिा गया, इस पर तथ्यों के साथ अनेक उदाहरण रखे।

अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘विगत सप्ताह संसद में संविधान को स्वीकार करने के 75 साल के मौके पर संविधान की रचना, संविधान निर्माताओं के योगदान और संविधान में स्थापति आदशरें पर एक गौरवमयी चर्चा का आयोजन हुआ। इस चर्चा में 75 साल की देश की गौरव यात्र, विकास यात्र और उपलब्धियों की भी चर्चा होनी थी।‘

उन्होंने कहा, कि ‘ये तो स्वाभाविक है कि जब लोकसभा और राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष होते हैं, तो हर मुद्दे पर लोगों का, दलों का और वक्ताओं का नजरिया अलग-अलग होता है। मगर संसद जैसे देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक फोरम में जब चर्चा होती है, तब इसमें एक बात कॉमन होती है कि बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए।‘ अमित शाह ने कहा कि संसदीय चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि कांग्रेस डॉ. बी.आर. अंबेडकर के खिलाफ थी। उनके निधन के बाद कांग्रेस ने उन्हें हाशिए पर धकेलने की कोशिश की। जब संविधान समिति ने अपना काम पूरा कर लिया और 1951-52 और 1955 में चुनाव हुए, तो कांग्रेस ने उन्हें चुनाव में हराने के लिए कई कदम उठाए।

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