नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर गुरुवार को कहा कि पांच मई को हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) 2024 में अनियमितता के आरोपों की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग वाली याचिकाओं पर वह विचार करेगा, लेकिन मेडिकल की स्नातक कोर्स में दाखिले के लिए छह जुलाई से प्रस्तावित काउंसलिंग पर इस स्तर पर रोक नहीं लगाएगा। शीर्ष अदालत ने नीट यूजी 2024 विवाद से संबंधित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाहियों पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार और परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) का पक्ष जानने के बाद अदालत आगे कोई फैसला लेगी। पीठ ने कहा, “केंद्र सरकार और एनटीए को आठ जुलाई को याचिकाओं पर जवाब देने दें।” शीर्ष अदालत ने नीट विवाद से संबंधित तमाम याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।
पीठ ने सीबीआई से जांच की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर केंद्र सरकार और एनटीए से जवाब देने को कहा। याचिकाकर्ताओं के एक वकील ने काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग पर पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा, “काउंसलिंग पर कोई रोक नहीं है। यदि अंतिम सुनवाई के बाद परीक्षा होती है तो काउंसलिंग भी होगी।” अवकाशकालीन पीठ ने लखनऊ की एक छात्रा के मामले का भी जिक्र किया।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष शुरू में दावा किया था कि उसे एनटीए से फटी हुई ओएमआर शीट मिली थी, लेकिन बाद में पता चला कि उसने गलत पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल किया था। इसके बाद उसने उच्च न्यायालय से अपनी याचिका वापस ले ली थी। एनटीए की ओर से पेश वकील कनु अग्रवाल की गुहार पर अवकाशकालीन पीठ ने परीक्षा एजेंसी की याचिका पर उन मामलों की कार्यवाही पर रोक लगा दी, जो (नीट यूजी 2024 के संबंध में) विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित है।
एनटीए ने उन मामलों को शीर्ष अदालत के समक्ष स्थानांतरित करने की याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने मेघालय के कुछ विद्यार्थियों की याचिका पर एनटीए और केंद्र को नोटिस भी जारी किया, जिन्होंने दलील दी थी कि पांच मई को उनकी परीक्षा शुरू होने में लगभग 40 मिनट की देरी हुई थी और उन्हें 23 जून को दोबारा परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाना चाहिए। नीट यूजी 2024 के परिणाम चार जून को घोषित किए गए थे। देश भर में कई जगहों पर परीक्षा में कथित अनियमितताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किये गए हैं। परीक्षा के प्रश्न पत्र सार्वजनिक होने के मामले में बिहार, गुजरात आदि राज्यों में अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे।