नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को शहर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस साल डेंगू फैलने संबंधी ‘सटीक’ आंकड़े मुहैया कराने के अनुरोध को लेकर दाखिल जनहित याचिका को ज्ञापन के तौर पर लें। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर पेश स्थायी अधिवक्ता ने कहा कि अदालत के समक्ष याचिका दायर करना सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मुहैया कराने की प्रक्रिया का स्थान नहीं ले सकती, लेकिन भरोसा दिया कि अधिकारी इस अर्जी को ज्ञपन के तौर पर देखेंगे।
बड़ी खबरें पढ़ेंः बड़ी खबर: फ्लाईओवर से नीचे गिरी बस, 21 लोगों की मौत, 18 घायल
अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि इस साल बाढ़ की वजह से बीमारी फैली और याचिकाकर्ता को सरकार के अधिकारियों से सूचना मांगने से पहले सीधे अदालत का रुख नहीं करना चाहिए। इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि ‘‘सभी को जानने का अधिकार है’’ और अधिकारियों को सलाह दी कि वे इस जनहित याचिका पर ज्ञापन के तौर पर गौर करें। इस पीठ में न्यायमूर्ति संजीव नरुला भी शामिल थे। अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा अपनाए गए रुख के मद्देनजर इस जनहित याचिका पर आगे कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है।
बड़ी खबरें पढ़ेंः Boney Kapoor ने पहली बार खाले Sridevi के बड़े राज, पढ़कर हो जाएंगे हैरान
याचिकाकर्ता स्थानीय हिंदी अखबार ने अपनी याचिका में कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) हर साल डेंगू के मामलों को लेकर आंकड़े जारी करता है लेकिन पहली बार उसने आंकड़े जारी करने बंद कर दिए हैं। याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता अपने अखबार में डेंगू बुखार से जुड़े आंकड़े प्रकाशित करना चाहता था ताकि स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा सके..जब उसने अन्य अखबारों और सूत्रों से आंकड़े प्राप्त करने की कोशिश की तो यह जान कर स्तब्ध रह गया कि एमसीडी ने पांच अगस्त 2023 से डेंगू के आंकड़े जारी नहीं किए है।’’