Jagdeep Dhankhar : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि लोकतंत्र केवल प्रणालियों पर ही नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति और संवाद के संतुलन पर केंद्रित मूल मूल्यों पर भी पनपता है। जगदीप धनखड़ ने यहां भारतीय डाक एवं दूर संचार लेखा और वित्त सेवा के 50वें स्थापना संबोधित करते हुए कहा कि आज की संस्थागत चुनौतियां भीतर और बाहर से अक्सर सार्थक संवाद और प्रामाणिक अभिव्यक्ति के क्षरण से उत्पन्न होती हैं। विचार की अभिव्यक्ति और सार्थक संवाद दोनों ही लोकतंत्र के अनमोल रत्न हैं। अभिव्यक्ति और संचार एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच सामंजस्य ही सफलता की कुंजी है।
इस अवसर पर संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, डिजिटल संचार आयोग के वित्त सदस्य मनीष सिन्हा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र केवल व्यवस्थाओं पर नहीं, बल्कि मूल मूल्यों पर पनपता है। इसे अभिव्यक्ति और संवाद के नाजुक संतुलन पर केंद्रित होना चाहिए। अभिव्यक्ति और संवाद, ये जुड़वां ताकतें लोकतांत्रिक जीवन शक्ति को आकार देती हैं। उनकी प्रगति को व्यक्तिगत पदों से नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक लाभ से मापा जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा इस बात का उदाहरण है कि विविधता और विशाल जनसांख्यिकीय क्षमता राष्ट्रीय प्रगति को बढ़ावा दे सकती है। लोकतांत्रिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता राष्ट्रीय विकास में बराबर भागीदार हैं। स्व-लेखा परीक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा, कि सेल्फ ऑडिट बहुत जरूरी है। किसी व्यक्ति या संस्था को गिराने का सबसे पक्का तरीका है, उसे या सज्जन या सज्जन महिला को जांच से दूर रखना। आप जांच से परे, आपका पतन निश्चित है। और इसलिए, आत्म-लेखा परीक्षा, स्वयं से परे एक लेखा परीक्षा, आवश्यक है।
विभिन्न विभागों के बीच समन्वय और तालमेल पर जोर देते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा, कि एक-दूसरे से जुड़ी दुनिया में विभागों के बीच सहयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। हमें एक दूसरे के साथ तालमेल में रहना चाहिए, हमें एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाना चाहिए। मैंने अक्सर सभी को यह समझाया है कि शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत कुछ और नहीं बल्कि तीन संस्थाओं, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका, को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्हें सामंजस्य के साथ काम करना चाहिए।