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Air Defence से लेकर क्रॉस डेक लैंडिंग तक विविध अभ्यास, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सहयोग को मजबूत करना

नई दिल्ली: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करने और सामरिक कौशल को निखारने के लिए बहुराष्ट्रीय अभ्यास ला पेरोस 25 का आयोजन 17 से 20 जनवरी 2025 के बीच हुआ। इस महत्वपूर्ण समुद्री चरण में भारतीय नौसेना के स्वदेशी विध्वंसक आईएनएस मुंबई और लंबी दूरी के समुद्री निगरानी विमान पी-8आई ने भाग लिया।

अभ्यास में फ्रांस के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG), रॉयल नेवी और रॉयल कैनेडियन नेवी की इकाइयों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान विभिन्न प्रकार के अभ्यासों का प्रदर्शन किया गया, जिनमें एयर डिफेंस ड्रिल्स, सतह पर फायरिंग अभ्यास, बोर्डिंग ऑपरेशन्स, क्रॉस डेक लैंडिंग्स और टैक्टिकल मैनूवर्स शामिल थे। इन गतिविधियों ने आपसी समन्वय और सामूहिक प्रयासों के महत्व को उजागर किया।

भारतीय नौसेना के आईएनएस मुंबई ने अपनी तकनीकी कुशलता और क्षमताओं का शानदार प्रदर्शन किया। पी-8आई विमान ने समुद्री निगरानी और खुफिया जानकारी साझा करने में अहम भूमिका निभाई। इस अभ्यास का उद्देश्य भागीदार देशों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी (आपसी सामंजस्य) बढ़ाना और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना था।

ला पेरोस 25 ने न केवल मित्र देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा दिया, बल्कि सभी सहभागियों के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और सामरिक कौशल को साझा करने का एक उत्कृष्ट मंच भी प्रदान किया। यह अभ्यास इस बात का प्रतीक है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सहयोग और समन्वय कितना आवश्यक है।

इस बहुपक्षीय अभ्यास ने यह स्पष्ट कर दिया कि समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विभिन्न देशों का सामूहिक प्रयास और एकजुटता कितनी महत्वपूर्ण है। ला पेरोस 25 जैसे अभ्यास क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

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