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Dr. Manmohan Singh: आर्थिक सलाहकार से प्रधानमंत्री तक का अनोखा सफर, जानें कैसे बदली डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत की दिशा

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। केंद्र सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है और शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। केंद्र सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है और शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। शुक्रवार सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक भी बुलाई गई। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे थे। साल 1991 में मनमोहन सिंह की राजनीति में एंट्री हुई जब 21 जून को पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। उस समय देश एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। पी.वी. नरसिंह राव के साथ मिलकर उन्होंने विदेशी निवेश का रास्ता साफ किया था। वित्त मंत्री रहते उन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू किया, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला और भारत को विश्व बाजार से जोड़ा जा सका।

वह 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा के सांसद चुने गए। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई सुधार किए, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई।

वह 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता भी रहे। हालांकि, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली जीत के बाद उन्होंने 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने यूपीए-1 और 2 में प्रधानमंत्री का पद संभाला। मनमोहन सिंह ने पहली बार 22 मई 2004 और दूसरी बार 22 मई, 2009 को प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली थी।

महत्वपूर्ण उपलब्धियां
*Indo-US परमाणु समझौता (2008): इस समझौते ने अमेरिका के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया।

*समाज कल्याण: शिक्षा का अधिकार, मनरेगा, और सूचना का अधिकार जैसे ऐतिहासिक कानून लागू किए।

*वैश्विक पहचान: उन्होंने समावेशी विकास, कूटनीति, और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी।

पाकिस्तान में हुआ था डॉ. सिंह का जन्म
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव में हुआ था। डॉक्टर मनमोहन सिंह के पिता का नाम गुरमुख सिंह और मां मा नाम अमृत कौर था। जब वह बहुत छोटे थे, तब उनकी मां का निधन हो गया था। डॉक्टर मनमोहन सिंह का पालन-पोषण उनकी नानी ने किया। जब देश आजाद हुआ और दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान के देश का जन्म हुआ तब 1947 में डॉक्टर सिंह का परिवार भारत आ गया और हल्द्वानी में बस गया। 1948 में वे अमृतसर चले गए, जहां उन्होंने हिंदू कॉलेज, अमृतसर में अध्ययन किया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, फिर होशियारपुर में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और 1952 और 1954 में क्रमशः स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की।

मनमोहन सिंह की शिक्षा
उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्न में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्न में डी. फिल किया। उन्होंने अपनी पुस्तक भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी।

नौकरशाही और राजनीति में मनमोहन के 5 दशक के करियर की एक झलक
1954 : पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
1957: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (3 वर्षीय डिग्री प्रोग्राम)।
1962: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल।
1971: वाणिज्य मंत्रलय में आíथक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए।
1972: वित्त मंत्रलय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए।
1980-82: योजना आयोग के सदस्य।
1982-1985: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर।
1985-87: योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
1987-90: जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव।
1990: आíथक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार नियुक्त हुए।
1991: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
1991: असम से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से चुने गए।
1991-96: पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री।
1998-2004: राज्यसभा में विपक्ष के नेता।
2004-2014: भारत के प्रधानमंत्री।

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