नई दिल्ली: एक ऐसे भारतीय परमाणु भौतिक वैज्ञानिक जिन्होंने देश के लिए पूर्व इराकी राष्ट्रपति और तानाशाह सद्दाम हुसैन के ऑफर को ठुकरा दिया था। इनके नेतृत्व में ही भारत ने पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इनका नाम है डॉ. राजा रमन्ना। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रमन्ना कुशल प्रशासक, बेहतरीन संगीतज्ञ, संस्कृत के विद्वान के साथ-साथ दार्शनिक भी थे। देश को न्यूक्लियर पावर बनाने में उनका अभूतपूर्व योगदान था। डॉ. रमन्ना के नेतृत्व में ही 18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण में देश का पहला न्यूक्लियर परीक्षण किया गया था। उन्होंने न्यूट्रॉन, न्यूक्लियर और रिएक्टर फिजिक्स में अहम योगदान दिया।
28 जनवरी, 1925 को कर्नाटक के तुमकुर में पैदा हुए रमन्ना की शुरुआती शिक्षा मैसुरु और बेंगलुरु से हुई। डॉ. रमन्ना के साथ एक दिलचस्प वाकया भी जुड़ा है। साल 1978 में वह एक सप्ताह के लिए इराक दौरे पर गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन से हुई। बताया जाता है कि सद्दाम हुसैन ने डॉ. रमन्ना को एक ऑफर दिया।
उन्होंने रमन्ना को भारत नहीं जाने और इराक में ही न्यूक्लियर प्रोग्राम का जिम्मा संभालने की सलाह दी। इतना ही नहीं तानाशाह ने उनको मुंह मांगा पैसा देने तक का ऑफर दे डाला था। डॉ. रमन्ना उनका प्रस्ताव सुनकर एक वक्त तो हक्के-बक्के रह गए। लेकिन, उन्होंने तानाशाह सद्दाम हुसैन के ऑफर को ठुकरा दिया।
वो चाहते तो आसानी से भारत छोड़कर विदेश में जाकर बस जाते और ऐशो-आराम की जिंदगी जीते। मगर, रमन्ना ने होमी जहांगीर भाभा की अपील को सुना और भारत में विज्ञान एवं तकनीक की मजबूत बुनियाद रखी।
18 मई 1974 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में भूमिगत परमाणु परीक्षण को सफलतापूर्वक करके विश्व को आर्श्चयचकित करके रख दिया था। डॉ. रमन्ना के नेतृत्व में ही वैज्ञानिकों ने इस परमाणु परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। भारत ने ऐसा करके विश्व के छह शक्तिशाली राष्ट्रों की सूची में अपना नाम शामिल करवाया था, जो परमाणु शक्ति संपन्न देश थे।
भारत के पहले न्यूक्लियर रिएक्टर अप्सरा की डिजाइनिंग उनके ही दिशा-निर्देश में हुई थी। डॉ. रमन्ना रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। वो 1990 में देश के रक्षा राज्य मंत्री भी रहे। वो अगस्त 1997 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे। इसके अलावा वो बेहतरीन संगीतज्ञ भी थे, उन्होंने संगीत पर एक किताब भी लिखी थी।
डॉ. रमन्ना को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए साल 1963 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा 1975 में पद्म विभूषण पुरस्कार, 1984 में मेघनाद साहा मेडल ऑफ इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी, 1985-86 में आरडी. मेमोरियल अवॉर्ड और 1996 में आशुतोष मुखर्जी गोल्ड मेडल से नवाजा गया था। उनको कई यूनिवर्सिटियों ने डॉक्टरेट की मानद डिग्री से भी नवाजा। 24 सितंबर 2004 को दिल का दौरा पड़ने से मुंबई में डॉ. रमन्ना ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया।