मुंबई : पिछले माह मुंबई में बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन उपक्रम BEST BUS से हुई दुर्घटना के मामले में एक सत्र अदालत ने चालक को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि वह बेहद लापरवाही से वाहन चला रहा था और यह मानना? मुश्किल है कि वाहन में कोई खराबी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी एम पठाडे ने 10 जनवरी को आरोपी चालक संजय मोरे (54) की जमानत याचिका खारिज कर दी। मंगलवार को उपलब्ध कराए गए विस्तृत आदेश के अनुसार, अदालत ने मोरे की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि दुर्घटना, बस में तकनीकी खराबी के कारण हुई। हालांकि, मोरे ने दावा किया कि दुर्घटना, बस के खराब रखरखाव या ब्रेक फेल होने या यांत्रिक या तकनीकी खराबी के कारण हुई, लेकिन अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसी कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है जो इस दलील को साबित करती हो। इसने कहा कि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) की ओर से जारी रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि बस में कोई यांत्रिक खराबी नहीं थी। अदालत ने कहा, ‘‘इस मामले को देखते हुए, यह मानना? मुश्किल है कि बस में कोई यांत्रिक/तकनीकी खराबी थी या ब्रेक फेल हुआ था, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई।’’ अदालत ने कहा कि मोरे ने न केवल बस में सवार यात्रियों की जान को खतरे में डाला, बल्कि भीड़भाड़ वाली सड़क पर पैदल चल रहे लोगों की भी जान को खतरे में डाला।
दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे
आदेश में कहा गया, ‘‘प्रथम दृष्टया यह देखा गया कि यह जानते हुए, कि बस में कई यात्री सवार थे और सड़क पर भी लोग थे, आवेदक आरोपी बस को बहुत तेजी से और लापरवाहीपूर्वक चला रहा था।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अपराध की गंभीरता तथा आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले में सजा के प्रावधानों को देखते हुए, मुझे नहीं लगता कि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाना उचित होगा।’’ नौ दिसंबर को बेस्ट की एक बस ने कुर्ला रेलवे स्टेशन के पास एक भीड़भाड़ वाली सड़क पर पैदल यात्रियों और वाहनों को टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे। मोरे को उसी रात गिरफ्तार कर लिया गया और भारतीय न्याय संहिता और मोटर वाहन अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया। जमानत का अनुरोध करते हुए मोरे ने दावा किया कि वह एक पेशेवर चालक है और दुर्घटना, बस में अचानक और अप्रत्याशित यांत्रिक या तकनीकी खराबी के कारण हुई। अभियोजन पक्ष ने आरटीओ की रिपोर्ट पर भरोसा किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बस में कोई खराबी नहीं थी।