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क्या फिर से आने वाला है 1934 जैसा विनाशकारी भूकंप? एक झटके ने मिट्टी में मिला दिया था पूरा शहर!

Earthquake Destroyed Entire City

Earthquake Destroyed Entire City

Earthquake Destroyed Entire City : कई आपदाएं कभी न भरने वाला जख्म दे जाती है। लोगों से उनका घर और परिवार सब छिन जाता है। बीते दिन आए भूकंप ने एक बार फिर 1934 में आए भयानक भूकंप की यादें ताज़ा कर दी। लोगों को ये डर सताने लगा है कि कहीं फिर से न उनका बसा-बसाया घर, परिवार बिछड़ जाए। 1934 के दौरान आए भूकंप ने कई शहरों को तबाह कर दिया था, जिसके निशान आज भी उन शहरों में देखने को मिल जाते है। कई रिपोर्ट्स सामने आई है जिनके अनुसार बिहार के आठ जिले भूकंप के सबसे खतरनाक पांचवें जोन में है।

कभी न भूलने वाला 1934 का भूकंप-
बता दें कि 1934 में साल कि शुरुआत में ही 15 जनवरी के दिन बिहार में एक बहुत विनाशकारी भूकंप आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी इसकी तीव्रता 8.4 मापी गई थी। इस खतरनाक भूकंप से पूरा राज्य हिल गया था। कई शहर खंडहर में बदल गए थे। उस मंजर को याद करके आज भी लोग कांप जाते है। उनके जख्म अभी भी हरे है।

‘Earthquake Destroyed Entire City’ बर्बाद हो गए थे कई शहर-
भूकंप के कारण देश के खूबसूरत महलों में से एक मधुबनी के राजनगर का रमेश्वरविलास पैलेस पूरी तरह से मिट्टी में मिल गया था। पूरा का पूरा शहर बर्बाद हो गया था। आज भी राजनगर को खण्डरों का शहर कहा जाता है। सहरसा और दरभंगा के बीच से ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया था। कई रेलवे पल टूट गए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान आए भूकंप का सबसे ज्यादा असर दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और मुंगेर जिलों पर पड़ा था। हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जिसमें से दरभंगा में 1839 और मुजफ्फरपुर में 1583 लोग मारे गए थे।

पहले भी आए है 7 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप-
बिहार में ऐसे ही कई भूकंप आए जिसने लोगों में डर का माहौल उत्त्पन्न किया, लेकिन 1034 का भूकंप सबसे अधिक खतरनाक साबित हुआ। जून 1764 और 1833 में भी बिहार ने विनाशकारी भूकंप का सामना किया था। इसके बाद 1988 में भी 6.6 की तीव्रता का भूकंप आया था।

बिहार में अभी भूकंप का खतरा-
बिहार भूकंप के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील इलाका है। हाल ही में आए तीव्र भूकंप के कारण अब बिहार में भूकंप का खतरा और भी बढ़ गया है। क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार एक बार भूकंप आने के बाद उसके आफ्टर इफेक्ट देखने को मिलते है। बिहार के आठ जिले ऐसे है जहां हर समय तबाही की आशंका बानी रहती है। यहाँ बहुमंजिला इमारत बनाने पर भी रोक है।

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