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पशु चिकित्सकों की मंजूरी के बाद बाघिन को पकड़ने के प्रयास फिर शुरू होंगे : अधिकारी

Simlipal Forest

Simlipal Forest

कोलकाता : ओडिशा के Simlipal Forest से भटक कर पश्चिम बंगाल के बांकुरा पहुंची बाघिन जीनत को रविवार सुबह बेहोश करने वाली दवा देने के बावजूद बेहोश नहीं किया जा सका। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पशु चिकित्सकों की मंजूरी मिलने के बाद उसे पकड़ने का अभियान फिर से शुरू किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने कहा कि बाघिन बांकुड़ा जिले के गोपालपुर जंगल में उसी जगह पर है जहां वह शनिवार की रात को थी। उसे दोहरे जाल से घेर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बाघिन के जाल के अंदर होने के कारण जाल की परिधि को छोटा कर दिया गया है। रॉय ने बताया, बाघिन को आज तड़के 1:20 बजे बेहोशी की दवा दी गयी, लेकिन बार-बार दवा देने के बाद भी वह बेहोश नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि चूंकि जानवर को बेहोश करने वाली दवा की खुराक की एक अधिकतम सीमा होती है, इसलिए उसे बेहोश करने का अभियान सुबह 4:30 बजे अस्थायी रूप से रोक दिया गया। उन्होंने कहा, बाघिन बहुत उत्तेजित अवस्था में है और इसीलिए उसे बेहोश नहीं किया जा रहा है।

27 दिसंबर को बंदवान से 15 किलोमीटर का सफर तय कर मनबाजार ब्लॉक के जंगल में शरण ली थी
रॉय ने बताया कि जीनत को फिलहाल कुछ आराम दिया गया है। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर तीन पशु चिकित्सक मौजूद हैं। उन्होंने कहा, पशु चिकित्सकों द्वारा स्थिति की जांच करने के बाद बाघिन को बेहोश करने के प्रयास फिर से शुरू किए जाएंगे। जीनत को पिछले महीने महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ अभ्यारण्य (टीएटीआर) से ओडिशा के सिमलिपाल में बाघों की आबादी में नए जीन के बाघ विकसित करने के लक्ष्य के साथ लाया गया था। सिमलीपाल से भटककर आई जीनत ने 27 दिसंबर को बंदवान से लगभग 15 किलोमीटर का सफर तय कर मनबाजार ब्लॉक के जंगल में शरण ली थी, जहां वह 24 से 26 दिसंबर के बीच छिपी हुई थी। झारखंड से आने के बाद वह लगभग एक सप्ताह से पश्चिम बंगाल में हैं। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सिमिलिपाल छोड़ने के बाद नए इलाके की तलाश में बाघिन ने पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के जंगलों में घूमते हुए 120 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की है। अभी तक उसके सिमिलिपाल बाघ अभ्यारण्य में वापस लौटने के कोई संकेत नहीं दिखायी दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से कम दूरी की यात्र कर रही हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन लगाए गए हैं, लेकिन घने जंगल के कारण निगरानी प्रभावित हो रही है।

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