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जमीन खोने के डर से प्रस्तावित अनंतनाग-पहलगाम रेलवे लाइन का किसान कर रहे विरोध 

Farmer Protest : अनंतनाग जिले में किसानों के एक समूह ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अनंतनाग-पहलगाम रेलवे लाइन के निर्माण की योजना को छोड़ने की अपील की है। पहलगाम वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए आधार शिविर के रूप में भी काम करता है।
एक स्थानीय किसान गुलाम नबी ने कहा, ‘‘अगर अनंतनाग से पहलगाम तक रेलवे लाइन बिछाई गई तो सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बंजर हो जाएगी। यह क्षेत्र कश्मीर की सबसे उपजाऊ भूमि में से एक है, जो हजारों परिवारों को आजीविका प्रदान करती है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस परियोजना को छोड़ देना चाहिए क्योंकि इससे न केवल भोजन की कमी होगी, बल्कि आजीविका का भी नुकसान होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रस्तावित अनंतनाग-बिजबहेड़ा-पहलगाम रेलवे लाइन बगीचों और धान की भूमि से होकर गुजरती है। रेलवे लाइन उन सभी स्थानों पर कृषि अर्थव्यवस्था को खत्म कर देगी जहां से यह गुजरेगी।’’ स्थानीय विधायक और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता बशीर अहमद वीरी ने आक्रोशित किसानों से मुलाकात की और उनकी आशंकाओं को संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने का वादा किया।
वीरी ने किसानों से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘मुझे इस रेलवे लाइन के निर्माण का उद्देशय़ समझ नहीं आ रहा है। क्या वे किसानों को बेदखल करना चाहते हैं? या वे हमारी अर्थव्यवस्था को और चकनाचूर करना चाहते हैं? हमारे यहां कोई औद्योगिक क्षेत्र नहीं है और पहलगाम में भी कोई उद्योग नहीं है। हम इस जमीन को जाने नहीं देंगे। हम इसे बचाने के लिए संघर्ष शुरू करेंगे।’’
इस मामले पर टिप्पणी करते हुए जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने दावा किया कि लोग प्रस्तावित रेलवे लाइन से ‘नाखुश’ हैं। जिन लोगों की जमीन प्रस्तावित अनंतनाग-बिजबहेड़ा-पहलगाम रेल मार्ग (77.5 किमी) के अंतर्गत आती है उन्होंने विरोध प्रदर्शन का सहारा लिया है। लेकिन प्रस्तावित रेलवे लाइन के वास्ते अंतिम स्थान सव्रेक्षण के लिए निविदा जारी होने के बाद से चिंताएं बढ़ गई हैं।
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