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विभिन्न संस्कृतियों एवं मान्यताओं वाले लोगों के बीच आपसी समझ बेहतर बनाने के तरीके खोजें : Droupadi Murmu

भोपालः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि तमाम चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया में हमें विभिन्न संस्कृतियों एवं मान्यताओं के लोगों के बीच और अधिक समझ बनाने के लिए कारगर तरीके खोजने चाहिए। राष्ट्रपति ने भोपाल में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन करने के बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस साहित्य उत्सव के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने संगीत नाटक अकादमी द्वारा लोक एवं जनजातीय प्रदर्शनकारी कलाओं के तीन दिवसीय राष्ट्रीय उत्सव ‘उत्कर्ष’ का भी उद्घाटन किया।
साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्यकार का सत्य इतिहासकारों के तथ्य से अधिक प्रामाणिक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास विश्व के महान साहित्य में ही मिलता है। उन्होंने कहा कि साहित्य ने मानवता को आईना भी दिखाया है, बचाया भी है और आगे भी बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि साहित्य एवं कला ने संवेदनशीलता एवं करूणा को बनाये रखा है, यानी मनुष्य की मनुष्यता को बचाए रखा है। समारोह को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया।
इससे पहले साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि उन्मेष’ भारत का सबसे समावेशी साहित्य उत्सव है और भाषाओं की संख्या के प्रतिनिधित्व के मामले में यह एशिया का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव है और जल्दी ही दुनिया का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव बनने की राह पर है। आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर साहित्य अकादमी, केन्द्रीय संस्कृति मंत्रलय एवं मध्य प्रदेश का संस्कृति विभाग संयुक्त रूप से इस उत्सव का आयोजन कर रहे हैं।
श्रीनिवासराव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का आयोजन तीन से छह अगस्त के बीच होगा। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ में 75 से अधिक कार्यक्रमों में 102 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक हिस्सा ले रहे हैं। भारत के अलावा 13 अन्य देशों के लेखक भी उत्सव में शामिल होंगे। ‘उन्मेष’ का यह दूसरा संस्करण है। पहला आयोजन जून 2022 में शिमला में किया गया था। वहीं, ‘उत्कर्ष’ उत्सव में देश के 36 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के लगभग 800 कलाकार लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं की सतरंगी छटा बिखेरेंगे।
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