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उडुपी रेस्टरूम वीडियो मामले में सीआईडी जांच का पहला चरण पूरा

बेंगलुरु: कर्नाटक पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने उडुपी में नेत्रज्योति पैरामेडिकल कॉलेज के रेस्ज़्टरूम के अंदर अन्य छात्राओं द्वारा लड़कियों का वीडियो बनाने से संबंधित सनसनीखेज मामले में जांच का पहला चरण पूरा कर लिया है। बुधवार को सूत्रों ने इसकी पुष्टि की। सूत्रों ने बताया कि काम पूरा होने के बाद सीआईडी के अधिकारी उडुपी से बेंगलुरु लौट आए हैं। डिप्टी एसपी अंजुमला द्वारा सीआईडी एडीजीपी मनीष खरबिकर की निगरानी में जांच की गई।

सीआईडी टीम ने मामले के संबंध में गहन पूछताछ की और पीड़ितों, आरोपी छात्राओं, कॉलेज अधिकारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए।सूत्रों ने कहा कि टीम अब आरोपी छात्राओं के पास से जब्त किए गए तीन मोबाइलों की रिपोर्ट फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) से आने का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा कि एक जांच अधिकारी द्वारा जल्द ही घटना के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने की संभावना है।

इस बीच, भाजपा तीन आरोपी मुस्लिम छात्राओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रही है। उनका आरोप है कि उन्होंने वॉशरूम में हिंदू लड़कियों की फिल्म बनाई और वीडियो को प्रसारित करने के लिए सौंप दिया। पार्टी नेताओं ने यह भी दावा किया कि यह मामला हिंदू लड़कियों के खिलाफ एक संगठित अपराध था। उन्ज़्होंने राज्य की कांग्रेस सरकार पर घटना को दबाने की कोशिश करके तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया।

इस मुद्दे को लेकर आवाज उठाने पर महिला कार्यकर्ता रश्मी सामंत को परेशान करने का कर्नाटक पुलिस पर आरोप लगा। पैरा-मेडिकल कॉलेज का कहना था कि पीड़ित छात्राएं आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को तैयार नहीं हैं। प्रारंभ में, पुलिस ने कहा कि वह मामले को नहीं उठा सकती क्योंकि सबूतों की कमी थी। हालांकि, घटनाक्रम के राष्ट्रीय खबर बनने पर दबाव में आने के बाद पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया और जांच शुरू की।

अभिनेत्री से नेता बनीं खुशबू सुंदर ने राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य होने के नाते मामले की जानकारी लेने के लिए उडुपी का दौरा किया था। इस मामले को लेकर भाजपा ने राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन भी किया था। भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से भी मुलाकात की और विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने डिप्टी एसपी रैंक के पुलिस अधिकारी से जांच के आदेश दिए थे। भाजपा का कहना है कि डिप्टी एसपी रैंक का अधिकारी बिना हस्तक्षेप के मामले की जांच नहीं कर सकता और राज्य सरकार अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के तहत मामले को दबा देगी। बाद में मामला सीआईडी को सौंप दिया गया। मामले में आरोपी छात्राएं जमानत पर हैं।

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