यमुनानगर(हरीश कोहली): यमुनानगर में हर साल दशहरे के अवसर पर रावण, मेघनाद, और कुंभकर्ण के विशालकाय पुतलों का दहन किया जाता है। इस वर्ष 70 फुट का रावण और 65-65 फुट के मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले बनाए गए हैं, जिनका दहन कल, दशहरे के दिन किया जाएगा।
इन पुतलों को तैयार करने की कला धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है, क्योंकि अब यह काम वही लोग कर रहे हैं, जो इसे पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं। रावण के पुतले बनाने में कला और धैर्य की आवश्यकता होती है, लेकिन इस काम में लगने वाली लागत और समय भी महत्वपूर्ण होता हैं।
एक रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले को बनाने में लगभग 3 लाख रुपये का खर्च आता है। यह खर्च विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के सहयोग और उनके योगदान से पूरा किया जाता है, जो इस परंपरा को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। रावण बनाने वाले कारीगर का कहना है कि इस पर लगभग ₹3 लाख तक का खर्च आ जाता है, क्योंकि कुछ मटेरियल ऐसा है जो बाहर से मंगवाना पड़ता है।
हालांकि, सरकार या प्रशासन की तरफ से इस कला या आयोजन के लिए कोई विशेष सहायता नहीं दी जाती है, फिर भी हर साल दशहरे पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाने वाला रावण का दहन किया जाता है। यह आयोजन लोगों में सकारात्मकता का संदेश फैलाता है। यमुनानगर के लोग उत्साहपूर्वक इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं और बुराई के अंत की इस परंपरा को जीवित रखते हैं।