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CM Nayab Saini आज दिल्ली दौरे पर, कैबिनेट विस्तार को लेकर हो सकती है चर्चा

हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार इसी सप्ताह होगा। राज्यपाल तीन दिन बाहर रहेंगे। इसके बाद किसी भी दिन नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। यादव, राजपूत, वैश्य और पंजाबी समुदाय के विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा।हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार इसी सप्ताह होगा। प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय तीन दिन हरियाणा से बाहर हैं, इसलिए तीन दिन के बाद किसी भी दिन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है।

मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के पास अभी तक तीन प्लान हैं और तीनों पर काम चल रहा है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा कि जजपा विधायकों को भाजपा में शामिल कर मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा या फिर निर्दलीय विधायकों के सहारे भाजपा सरकार चलाएगी। फिलहाल दोनों ही विकल्पों पर काम शुरू हो गया है। सूत्रों का दावा है कि सैनी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार पहले लोकसभा चुनाव के बाद होना था, लेकिन बाद में तय हुआ कि कैबिनेट में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बैठाने के बाद ही भाजपा लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे।

अभी मंत्रिमंडल में सीएम ओबीसी, दो जाट, एक-एक एससी, गुर्जर और ब्राह्मण समाज से मंत्री हैं। पंजाबी, राजपूत, वैश्य और यादव समाज से कोई मंत्री नहीं है। इसलिए भाजपा हाईकमान ने चुनाव से पहले ही मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी दे दी। शनिवार को भी मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियां हो गई थीं। मंत्रियों के लिए पांच गाड़ियां राजभवन के बाहर पहुंच गई थीं, लेकिन कुछ देर बाद आनन-फानन कार्यक्रम बदल दिया गया। इसके दो कारण थे। पहला पूर्व गृह मंत्री अनिल विज की नाराजगी।

दूसरा जजपा के पांच बागी विधायकों के साथ दो और विधायकों का न आना। जजपा के सात विधायकों को अपने पाले में लाकर भाजपा दल-बदल कराना चाहती है। जजपा के पांच विधायक पार्टी से बागी हैं। दो तिहाई बहुमत के हिसाब से इनको दो और विधायक चाहिए। पांचों विधायक दो और विधायकों को अपने साथ लाने की कोशिश में हैं। अगर ऐसा होता है तो वह भाजपा में शामिल हो जाएंगे और उनको मंत्री बनाया जा सकता है। इनमें से देवेंद्र बबली पहले से मंत्री थे। रामकुमार गौतम व ईश्वर सिंह के नाम पर मुहर लग सकती है।

इससे पहले पांचों बागी विधायकों को इस्तीफा देकर नायब सैनी के साथ उपचुनाव लड़ने की सलाह दी गई, लेकिन इसके लिए केवल चार विधायक ही तैयार हुए। इसके बाद भाजपा हाईकमान ने इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने का प्लान को दरकिनार कर दिया। भाजपा की दूसरी योजना है कि निर्दलीय विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए और उनके समर्थन से बचा हुआ कार्यकाल पूरा करे। कुल सात निर्दलीय विधायक हैं और इनमें से एक रणजीत सिंह मनोहर सरकार की कैबिनेट में शामिल थे। अब दो से तीन और विधायकों की लाटरी सकती है, लेकिन निर्दलीय विधायकों में आपसी विवाद के चलते यह प्लान भी सिरे चढ़ाना आसान नहीं है।

निर्दलीय विधायकों के बढ़ते नखरों के चलते भाजपा इन पर दांव खेलने से बचती नजर आ रही है। तीसरा प्लान यह भी है कि केवल भाजपा के चार विधायकों को मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किया जाए व शेष चार सीटों को खाली छोड़ दिया जाए और लोकसभा चुनाव के बाद इनका फैसला किया जाए। क्योंकि भाजपा को लोकसभा में सभी विधायकों से वोट चाहिए। पार्टी निर्दलीय और जजपा के बागी विधायकों के हलकों में वोटों की आस लगाए बैठी है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद निर्दलीय और जजपा विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर फैसला लिया जाएगा।

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