रोहतकः पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज अंडर-19 महिला वर्ल्ड कप जीतने पर कप्तान शेफाली वर्मा को बधाई देने उनके घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा कि इस परिवार की बेटी ने प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। साथ ही उन्होंने टीम की दूसरी खिलाड़ी सोनिया को भी बधाई दी। हुड्डा ने सरकार से दोनों खिलाड़ियों को कांग्रेस कार्यकाल में लागू की गई खेल नीति के तहत डीएसपी जैसे उच्च पद पर नियुक्ति देने की मांग की।
इसके बाद हुड्डा ने बजट पर प्रतिक्रिया देने के लिए पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गरीब, किसान, मजदूर, छोटा व्यापारी और किसान विरोधी बजट है। क्योंकि बजट में इनको कोई नई राहत देने की बजाए, पहले से जारी लाभकारी योजनाओं के बजट में ही कटौती कर दी गई। बजट में हरियाणा खाली हाथ रहा। प्रदेश के लिए किसी भी तरह की विशेष योजना का एलान नहीं हुआ। हुड्डा ने कहा कि आज देश व प्रदेश की जनता महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रही है। लेकिन इसको कम करने के लिए बजट में किसी तरह का प्रावधान नजर नहीं आया। एमएसपी के लिए किसान और ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए कर्मचारी आंदोलनरत हैं। उनकी मांगों पर भी बजट खामोश है। कोरोना काल के दौरान हर वर्ग को भारी नुकसान झेलना पड़ा। इस बजट में उसकी भरपाई के लिए भी कोई प्रावधान नहीं किया गया।
नेता प्रतिपक्ष ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस बजट में फर्टिलाइजर सब्सिडी को 2.25 से घटकर 1.75 लाख करोड़ कर दिया गया। पिछली साल के संशोधित बजट में यूरिया 1,54,098 करोड़ थी, इसे इसबार कम करके 1,31,100 करोड़ कर दिया गया। इसी तरह फूड सब्सिडी को 2.87 से घटाकर 1.97 लाख करोड़ कर दिया गया। ग्रामीण विकास के बजट में भी भारी कटौती करते हुए इसे 2.43 लाख करोड़ से घटाकर 2.38 लाख करोड़ कर दिया गया है। इसी तरह मनरेगा का बजट भी 89,400 करोड़ से घटाकर 60,000 करोड़ कर दिया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए पिछले बजट में 12,954 करोड़ का ऐलान किया गया था, जो इसबार घटकर 10,787 रह गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए पिछले बजट में 68,000 करोड़ का ऐलान हुआ था, इसबार इसे 60,000 करोड़ तक समेट दिया गया। पिछले बजट में फसल बीमा योजना के लिए 15,500 करोड़ रुपये का ऐलान था, इसे इसबार कम करके 13,625 करोड़ कर दिया है। एजुकेशन और हेल्थ में टोटल जीडीपी का 1 प्रतिशत से भी कम प्रावधान किया। जबकि हेल्थ और एजुकेशन के बजट पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था।