दोषी ने धारदार हथियार से शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसे कट्टे में बंद करके पड़ोसियों के मकान में फेंक दिया था। इस मामले में 3 जुलाई को आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। उन्होंने बताया कि कोर्ट कार्रवाई में 14 गवाहों को गवाही के लिए तलब किया गया जिनमें चश्मदीद गवाह और पुलिस के गवाह शामिल थे।
अब कोर्ट द्वारा दोषी को आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 25000 रुपए जुर्माना और आईपीसी की धारा 201 के तहत 7 साल की सजा और 25000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने कहा कि यह कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला है और वो अदालत के इस निर्णय का स्वागत करते हैं।