चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में एक बार फिर पुरानी पेंशन का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने सदन में बीजेपी जेजेपी सरकार को बताया कि 2004 में केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नई पेंशन स्कीम लागू की गई थी। उस वक्त नई स्कीम को कर्मचारियों के हित में बताया गया था। इसलिए राज्य सरकारों ने भी इसको अपनाया। लेकिन 2017 के बाद जब नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी रिटायर होने लगे तो एनपीएस के दुष्परिणाम सामने आने लगे। इसलिए कर्मचारियों ने नई नीति को खत्म करके फिर से OPS बहाल करने की मांग उठाई।
कर्मचारियों की मांग मानते हुए कांग्रेस की राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल की सरकार ने उनको पुरानी पेंशन का लाभ दिया। कांग्रेस हरियाणा की गठबंधन सरकार से यही मांग कर रही है। अगर कांग्रेस की सरकार ओपीएस लागू कर सकती हैं तो कर्मचारियों के हित में हरियाणा सरकार ऐसा फैसला क्यों नहीं ले रही? हुड्डा ने आज विधानसभा में पंचायतों पर थोपी गई ईटेंडरिंग व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि सरकार को चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों पर विश्वास करना चाहिए। 2005 से पहले हरियाणा के ज्यादातर गांव में गलियां कच्ची थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने पंचायतों को विकास के लिए फंड और स्वतंत्रता दी। उसका नतीजा रहा कि कुछ ही सालों में हर गांव में पक्की गलियां हो गई। मौजूदा सरकार को भी पंचायत प्रतिनिधियों पर भरोसा जताते हुए उन्हें विकास कार्यों का अधिकार देना चाहिए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा कि इस सरकार और इसके तमाम पोर्टल्स का सर्वर डाउन है। इसलिए सरकार हर मोर्चे पर फिसड्डी साबित हो रही है।