rocket
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114यमुनानगर: भगवान के मंदिरों में पूजा के दौरान चढ़ने वाले फूलों का इस्तेमाल कुछ महिलाएं बहुत अच्छा कर रही हैं। मंदिरों से इन फूलों का एकत्रित कर उन फूलों से होली के दिन इस्तेमाल होने वाला रंग बनाया जा रहा है और यह रंग कैमिकल से मुक्त है। इस काम को लोगों ने भी सराहा है। महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की यह कहानी बहुत ही सकारात्मक है। इससे उन महिलाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। संत नगर पंचायती गुरूद्वारे के पास रहने वाली 28 वर्षीय शिवाली ने बताया कि वह बीए पास है और खुद आत्मनिर्भर बनना चाहती थी और उसने अपने ही आसपडौस से विभा, स्वीटी, नताशा, सीमा व भगवती को लिया और मंदिरों से फूल लेकर रंग बनाने का काम शुरू किया। उनको यह प्रेरणा महिला विभा शर्मा ने दी।
उनके मार्गदर्शन में ही यह काम शुरू किया गया और अब उन्होंने 70 से 80 किलो रंग बनाकर तैयार कर लिया है। अब यह मार्कीट में बिकने के लिए जायेगा। उन्होंने कहा कि वह कैमिकल का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं कर रही है और गुलाब, गैंदा, चकूंदर, पालक आदि से रंग बना रही हैं और यह रंग काफी सौफ्ट भी है। इस रंग को लगाने से चेहरे पर कोई गलत प्रभाव भी नहीं पड़ेगा और ना ही स्कीन की परेशानी होगी। अक्सर होली के सीजन में जिले में कैमिकल युक्त रंग बिकते हैं जो त्वचा के लिए काफी नुक्सानदायक होते हैं लेकिन उनके रंग इस प्रकार के नहीं हैं। त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. विनित गुप्ता का कहना है कि कैमिकल युक्त रंग शरीर की त्वचा पर नुक्सान करता है।