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Hemant Soren की भाभी सीता सोरेन ने विधानसभा से भी दिया त्यागपत्र, BJP में हो सकती हैं शामिल!

रांचीः शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया है। सीता सोरेन फिलहाल दिल्ली में हैं और खबर है कि वह भाजपा ज्वाइन कर सकती हैं। उनके साथ उनकी दो बेटियां जयश्री सोरेन और राजश्री सोरेन भी भाजपा की सदस्यता ले सकती हैं। सीता के इस्तीफे को झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वह हेमंत सोरेन के दिवंगत बड़े भाई स्व. दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं। शिबू सोरेन के बाद दुर्गा सोरेन ही उनके स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जा रहे थे, लेकिन उनके आकस्मिक निधन के बाद हेमंत सोरेन पिता की विरासत संभालने आगे आए थे।

सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय महासचिव थीं और संथाल परगना के जामा क्षेत्र से विधायक चुनी गई थीं। सीता सोरेन ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजे इस्तीफे में लिखा है कि मैंने विभिन्न कारणों से झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के सिम्बल पर जामा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक हूं। नैतिकता का तकाजा है कि पार्टी छोड़ने से उत्पन्न परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए विधायक पद का भी परित्याग कर रही हूं।

इसके पहले मंगलवार की सुबह सीता सोरेन ने पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन को मेल के जरिए भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि पार्टी और परिवार में उनकी लगातार उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ भी एक गहरी साजिश रची जा रही है। मैं अत्यन्त दु:खी हूं। मैनें यह दृढ़ निश्चय किया है कि मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा। अत: मैं अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं।‘

उन्होंने शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी को लिखे पत्र में कहा है, ‘आपके समक्ष अत्यन्त दु:खी हृदय के साथ अपना इस्तीफा प्रस्तुत कर रहीं हूं। मेरे पति दुर्गा सोरेन झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे। उनके निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहे हैं। पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमें अलग-थलग किया गया है, जो कि मेरे लिए अत्यन्त पीड़ादायक रहा है। मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेंगी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। झारखडं मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने त्याग, समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था, आज वह पार्टी नहीं रही। मुझे यह देखकर गहरा दु:ख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है, जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदशरें से मेल नहीं खाते।‘

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