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Kullu में भगवान रघुनाथ की यात्रा के साथ मनाया गया बसंत उत्सव, इसी के साथ हुआ Holi का आगाज

कुल्लूः जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ बसंत उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस सुनहरे पल का गवाह बनने के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग उमड़े। आस्था में डूबे लोगों ने ढालपुर मैदान में रथ को खींच कर पुण्य भी कमाया। अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व के बाद भगवान रघुनाथ की यह दूसरी रथ यात्रा है। इसके लिए ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर भव्य रूप से सजाया गया था। बसंत पंचमी के अवसर पर परंपरा के अनुसार भरत की भूमिका महंत खानदान के व्यक्ति ने निभाई और बसंत पंचमी के इस पर्व में जहां राम-भरत के मिलन के गवाह हजारों लोग बने। वहीं भरत अपने बड़े भाई राम को अयोध्या ले जाने के लिए भी प्रार्थना करते दिखे। राम भरत मिलन के बाद हनुमान जी की अठखेलियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। केसरी रंग से पूरी तरह रंगे हुए हनुमान जिन श्रद्धालुओं को रंग लगाएंगे वे अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं। इसी परंपरा को हनुमान ने यहां निभाया और सभी लोगों के साथ होली खेली। वहीं रथ को खिंचने के लिए भी हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

बसंत पंचमी के अवसर पर ढालपुर मैदान में अधिष्ठाता राम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अधिकतर श्रद्धालु यहां पीले वस्त्र पहनकर पहने हुए थे। रघुनाथ की नगरी से अधिष्ठाता रघुनाथ को ढालपुर मैदान तक लाया गया। इसके बाद अधिष्ठाता रघुनाथ को अगले 40 दिनों तक हर दिन गुलाल फेंका जाएगा। होली से 8 दिन पूर्व यहां होलाष्टक का भी आयोजन होगा। बहरहाल, रघुनाथ की रथ यात्रा से देवभूमि कुल्लू निहाल हो गई हैं और वसंत पंचमी का खुशी-खुशी से आगाज हुआ।

रथ यात्रा के शुरू होने से पूर्व हनुमान बना व्यक्ति अपने केसरी रंग के साथ लोगों के बीच जाता है। वही, लोगों का केसरी नंदन के साथ स्पर्श हो। इसके लिए लोग उसके पीछे भागते हैं। जिन लोगों को हनुमान का केसरी रंग लगता है तो उसकी मन्नत पूरी मानी जाती है। इस दिन अधिकतर स्त्रियां पीले व सफेद वस्त्र पहनकर आती है। केसरी नंदन की कृपा दृष्टि लोगों के ऊपर हो इसलिए उसके आगे आने के लिए लोगों का कुनबा उत्सुक रहता हैं। वही, रथयात्रा में अधिष्ठाता रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह समेत राज परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहते हैं।

भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि अयोध्या में जो भगवान रघुनाथ के रीति रिवाज व परंपरा का पालन किया जाता है। वही परंपरा कुल्लू में भी निभाई जाती है। बसंत पंचमी के अवसर पर भी पारंपरिक परंपराओं का निर्वाह किया गया और भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए ढालपुर मैदान में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े।

श्रद्धालु ने बताया कि बसंत पंचमी से शरद ऋतु का समापन हो जाता है और एक नई ऋतु का आगमन होता है। बसंत पंचमी के साथ ही जिला कुल्लू में देवी-देवताओं के त्यौहार भी शुरू हो जाते हैं और प्रकृति में भी नया बदलाव देखने को मिलता है। वहीं कुल्लू के रहने वाले अंशुल पराशर ने बताया की रघुनाथ जी को लेकर लोगों में बेहद आस्था है। जिसके चलते गॉव से भी दूर दूर से बसंत पंचमी का त्योहार मनाने लोग ढालपुर मैदान पहुंचते है।

यह है कुल्लू की होली का इतिहास

40 दिनों तक चलने वाले होली उत्सव में वैरागी समुदाय के लोगों की भूमिका अहम होती है। ऐतिहासिक पहलू के अनुसार कुल्लू जनपद में राजा जगतसिंह का शासनकाल वर्ष 1637 से 1662 तक रहा। इसी दौरान अयोध्या से भगवान राम की मूर्ति भी कोढ़ से मुक्ति पाने के लिए यहां लाया गया था। उसके बाद यहां इस पर्व को मनाने की रिवायत शुरू हुई जो आज तक कायम है। लिहाजा, इस बार भी इस बार भी रथ यात्रा के साथ ऐतिहासिक होली का आगाज होगा।

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