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आयोग को रखा जाए बहाल, ताकि युवाओं का ना हो आर्थिक नुक्सान : Prem Kumar Dhumal

हमीरपुर (कपिल) : भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने बुधवार को अपने आवास समीरपुर में प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को प्रदेश सरकार द्वारा भंग करने पर कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने आयोग को मुर्गी खाना बनाने का बयान दिया था, लेकिन उनके कार्यकाल में भी आयोग का काम चलता रहा था। अब इस सरकार ने इसे बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमीरपुर पहुंचने वाले युवाओं के लिए यह आयोग एक केंद्र बिंदु है ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान भी ना हो और यहां सुविधा भी मिलती रहे इसलिए इसे बहाल रखा जाए। धूमल ने कहा कि जब इस आयोग का गठन 1998 में किया गया था उससे पहले कांग्रेस सरकार में जो भर्तियां हुई थी वह पर्चियों पर हुई थी। पर्चियों पर की भर्तियों की जांच दो आयोगों ने मिलकर की थी जिसमें 2 सीनियर आईएएस थे, विसंगतियां पाई गई थीं। हालांकि डिपार्टमेंटल भर्ती की उपेक्षा इस संस्थान के माध्यम से भर्ती हो इसी उद्देश्य से कर्मचारी चयन आयोग का गठन किया गया था। यदि भ्रष्टाचार पाया गया है तो सरकार का पूरा अधिकार है इस को बंद करें लेकिन युवाओं की सुविधा के लिए जिस उद्देश्य से आयोग गठन किया गया था उम्मीदवारों की सहूलियत के लिए इसका काम बहाल रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले सभी उम्मीदवारों को शिमला जाना पड़ता था वह बहुत ही दूर था महंगा भी बहुत है। इसीलिए जो कमियां हुई है जो खामियां पाई गई हैं उन्हें सुधारा जाए जिसने गलती की है उसे सजा मिले, लेकिन जो सुविधा उम्मीदवारों के लिए है उसको बहाल रखा जाए। उन्होंने कहा कि मुङो विश्वास है कि सरकार कमियों को पूरा करके दूर करके इसका पूर्ण स्थापना करेगी। जो सुविधा उम्मीदवारों को गरीब परिवारों को मिली थी उसे वैसे ही मिलती रहे। सरकार को अधिकार होता है निर्णय लेने के लिए इसलिए वह क्या निर्णय लेते हैं इस पर निर्भर करेगा जो गड़बिड़यां हुई हैं जांच चल रही है उसके आधार पर कार्रवाई हो।

धूमल ने कहा कि दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्नी वीरभद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में इसे मुर्गी खाना बनाने की बात तक क्या डाली थी। चिट पर नौकरी दिए जाने के मुद्दे को लेकर विधानसभा में भी खूब हंगामा हुआ था विपक्ष में रहते हुए वीरभद्र सिंह ने आयोग के मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार को घेरा था। वीरभद्र सिंह के कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को मुर्गी खाना बनाने के बयान पर भी हमारी सरकार ने आपित्त जताई थी, हालांकि वीरभद्र सिंह का यह बयान कहीं भी रिकॉर्ड में नहीं है। उन दिनों वीरभद्र सिंह के इस कथित बयान को लेकर मीडिया में सुर्खियां खूब बनी। साल 2004 में वीरभद्र सिंह के दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही आयोग में बड़ी कार्रवाई की गई। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कर्मचारी चयन आयोग में भर्ती घोटाले नए नहीं हैं। वीरभद्र के समय भी आयोग काम करता रहा है लेकिन इस कार्यकाल में इसे बंद किया गया है उम्मीद है और इस पर कड़े कदम भी उठाए जाएंगे।

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