रामपुर बुशहर : सरकार व प्रशासन के जंगलों में आग बुझाने के दावे लगातार खोखले साबित हो रहे हैं। सर्दी का मौसम समाप्त होते ही अब शिमला, कुल्लू, किन्नौर के जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आना शुरू हो गई है। जंगलों में आग इस कदर लग रही है कि पुराने बुढ़े पेड़ों के अलावा कुछ भी जमीन पर नहीं बच पा रहा है। जो छोटे-छोटे पौधे उग रहे हैं वह भी जल कर राख हो रहे हैं। इसके साथ साथ जीव जंतु भी जल कर राख हो रहे हैं। ऐसे घटनाएं इन जिलों में आए दिन देखने को मिल रही है, जिससे पर्यावरण को भारी नुक्सान हो रहा है। इसका खामयाजा आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता है।
ऐसे भी अब इन क्षेत्रों में बर्फबारी कम मात्र में हो रही है, जब बर्फबारी से ऊंचाई वाले क्षेत्र ढके रहते थे आज उन स्थानों पर नामात्र की बर्फबारी देखने को मिल रही है। सर्दी में भी गर्मी के जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। वहीं सरकार व प्रशासन के अधिकारी जंगलों में आग बुझाने को लेकर नई-नई तकनीक पेश करते रहते हैं। कभी ड्रोन तो कभी हेलीकॉप्टर जैसी अधुनिक तकनीकी से आग बुझाने की योजनाओं को तैयार करते रहते हैं। जंगल जल कर राख हो रहे हैं, लेकिन इनकी योजनाएं जमीन पर नहीं उतर पा रही है। वह केवल मात्र कागजों व शिविरों के माध्यम से लोगों को बताने तक सीमित है।
जमीनी स्तर पर जंगलों की आग को बुझाने के दावे सरकार व अधिकारियों के खोखले साबित हो रहे हैं। अभी तक कोई भी सरकार प्रदेश में आग बुझाने के लिए किसी ने भी सार्थक कदम नहीं उठाए हैं। ग्रामीण भी इस तरह की घटनाओं में आग बुझाने के लिए आगे नहीं आ रहें हैं। ग्रामीणों का मानना है कि आग लगने से जंगलों में पुराना सुखा घास नष्ट हो जाएगा और नया घास आने से उनके पशुओं के लिए बेहतर रहेगा, लेकिन वह यह नहीं जानते की इससे पूरे क्षेत्र को पर्यावरण की दृष्टि से भारी नुक्सान हो रहा है। आज जंगलों में यह हालात है कि पुराने पेड़ ही रह गए हैं, नए पौधे आग की भेंट चढ़ रहे हैं। वही, रामपुर में भी आए दिन देवनगर पंचायत, ननखड़ी, मङोवटी व रामपुर के साथ लगते क्षेत्र कुल्लू में आग लगने की घटना लगातार देखने को मिल रही हैं, जिससे करोड़ों की वन संपदा को भारी नुक्सान हो रहा है।