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हिमाचल में नौतोड़ के नियमों में संशोधन करने का फैसला, रुकेगा अतिक्रमण: नेगी

शिमला : हिमाचल सरकार ने प्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों में लोगों को कृषि के योग्य भूमि उपलब्ध कराने के लिए नौतोड़ के नियमों में संशोधन करने का फैसला लिया है। इसको लेकर मंत्रिमंडल ने अपनी सिफारिश राजभवन को भेज दी है, अभी तक संशोधन को राजभवन से हरी झंडी का इंतजार है। यह जानकारी बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में दी। उन्होंने कहा कि संशोधन को मंजूरी मिलने से जनजातीय क्षेत्रों की सीमाओं में कृषि के लिए भूमि देने से जहां आय के साधन बढ़ेंगे। वहीं सीमाओं में अतिक्रमण भी रुकेगा।

नेगी ने कहा कि प्रदेश कैबिनेट ने नौतोड़ के नियमों में संशोधन को लेकर राज्यपाल को सिफारिश ही भेजी है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत राज्यपाल को संशोधन की सिफारिश भेजी है। इसमें संशोधन राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में है, जो मंत्रिमंडल के सिफारिश पर करते हैं। लेकिन अभी तक वह खुद चार बार राज्यपाल से मिल चुके हैं। इसके अलावा जनजातीय परिषद के प्रतिनिधियों समेत जनजातीय क्षेत्र के स्थानीय प्रतिनिधि भी राज्यपाल से मिल चुके हैं। मगर अभी तक इस संशोधन को लेकर राज्यपाल की सहमति का इंतजार है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि दीपावली के अवसर पर राज्यपाल जनजातीय क्षेत्र को एक बड़ी सौगात देंगे। लेकिन वह अभी भी इसका इंतजार कर रहे हैं।

नेगी ने कहा कि चीन लगातार सीमा क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने भी एफसीए में संशोधन कर सीमा क्षेत्र के 100 किलोमीटर के दायरे में बसने को लेकर संशोधन किया है। अगर राज्यपाल सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकार करता है तो इससे जहां जनजातीय क्षेत्र के लोगों की आय बढ़ेगी वहीं सीमाओं पर अतिक्रमण भी रुकेगा। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग में सीमांकन, विभाजन और इंतकाल के लंबित पड़े मामलों को जल्द निपटाने के लिए प्रदेश सरकार ने पहली बार बड़ा प्रयास किया ताकि हिमाचल प्रदेश में लंबित पड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके। इसको लेकर हिमाचल प्रदेश में इंतकाल अदालत भी शुरू कर दी है, जिसमें लंबित इंतकाल के मामलों को निपटाया जा रहा है। इसके बाद अगली कड़ी में सीमांकन और बंटवारा मामलों को निपटाने के लिए भी निर्धारित समय सीमा तय की जाएगी ताकि लंबित पड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके।

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