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हिमाचल के फार्मा उद्योग को न करें बदनाम, बोलने से पहले जानें तथ्य : धनीराम शांडिल

धर्मशाला (यशपाल दरगेलिया) : हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल (रिटा.) धनी राम शांडिल ने हिमाचल में फार्मा कंपनियों द्वारा उत्पादित की जा रही दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर लगातार उठ रहे आशंकाओं को दूर करने की पहल की है। शांडिल ने काँगड़ा दौरे के दौरान जारी बयान में कहा कि महज़ कुछ लोगों की वजह से पूरे प्रदेश के फार्मा उद्योग को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए और जो भी लोग इस पर अनापशनाप बयानबाजी करते हैं वो तकनीकी तथ्यों से अनभिज्ञ है। ऐसे लोग तथ्यों की जानकारी बिना गलत बयानबाजी न करें क्योंकि इससे देश में हिमाचल की छवि खराब होती है।

कर्नल शांडिल ने कहा कि प्रदेश में बन रही दवाइयां गुणवत्ता के सभी मानकों पर खरी उतरती हैं। हर साल प्रदेश की फार्मा कंपनियों से दवाइयों के लाखों बैच बिक्री के लिए निकलते हैं। शांडिल ने कहा कि दवाइयों की गुणवत्ता में कमी आने के कई कारण होते हैं। इनमें रखरखाव में कमी, उचित तापमान का अभाव , ट्रांसपोर्टेशन के दौरान हुई लापरवाही आदि शामिल हैं। ऐसे में हर दवाइयों की शुद्धता पर सवाल उठाना सही नहीं है। दवाओं की गुणवत्ता पर हायतौबा मचाने वाले पहले तकनीकी जानकारी हासिल करें तो बेहतर होगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य ड्रग कंट्रोलर विभाग द्वारा प्रदेश में चल रही फार्मा कंपनियों में उत्पादन का नियमित निरीक्षण किया जाता है। कमी मिलने पर तुरन्त कार्रवाई होती है। कांग्रेस सरकार ने अपने सात माह के कार्यकाल में शिकायतें मिलने पर करीब 30 दवा निर्माताओं के लाइसेंस रद्द किए हैं। इतना ही नहीं, राज्य के दवा निरीक्षकों ने पहली बार अनियमितताएं बरतने वाले कई दवा निर्माताओं पर केस दर्ज करवाकर उन्हें गिरफ्तार भी करवाया है जिनकी संख्या 11 के आसपास है।

शांडिल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर NSQ यानी Not of standard quality दवाओं का प्रतिशत 3% के लगभग है जबकि उसके आगे हिमाचल का प्रतिशत कुछ भी नहीं है । फिर भी हम सख़्त से सख़्त कदम उठा रहे हैं और आगे भी उठाएंगे । हिमाचल में अंतरराष्ट्रीय स्तर की दवा कंपनियां काम कर रही हैं और इनकी वजह से हिमाचल का नाम अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर है। कुछ काली भेड़ों की वजह से पूरे प्रदेश और यहां के उद्योगों को बदनाम करना सही नहीं है। शांडिल ने कहा कि वह आने वाले समय में सेहत महकमे को और सशक्त करेंगे। फील्ड में कार्यरत विशेषकर छापेमारी में संलग्न विभागीय अधिकारियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी। विभाग में किसी भी स्तर पर यदि कोई भी कमी पाई जाती है तो उसे शीघ्र दूर किया जाएगा।

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