शिमला : हिमाचल के पहाड़ों पर जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक तापमान में हो रही बढ़ोतरी की वजह से हिमनद तेजी से पिघलने लगे हैं। शिमला सहित हिमाचल के पहाड़ फरवरी माह में तपने लगे हैं। फरवरी माह में शनिवार का न्यूनतम तापमान बीते तीन सालों में सर्वाधिक रिकार्ड किया गया।2015 में फरवरी माह का न्यूनतम तापमान 14.2 डिग्री सेल्सियस के मुकाबले शनिवार को 14.4 डिग्री सेल्सियस रहा। अलबत्ता रविवार 19 से 21 फरवरी तक मध्य और उच्च पर्वतीय आठ जिलों में बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान है। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से मौसम में बदलाव आने की संभावना है।
पहाड़ों के तापमान में बढ़ोतरी को वैश्विक ऊष्मीकरण की वजह माना जा रहा है। अध्ययनों के मुताबिक बीती एक शताब्दी में शिमला के तापमान में एक डिग्री सेल्यिस की बढ़ोतरी हुई। हिमालय के तापमान में 120 सालों में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। बीते दिनों जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के मुद्दे पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह खुलासा हुआ था। विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के असर से बचने के लिए अधिक संख्या में पौधरोपण करने के साथ साथ कई अन्य उपाय सुझाए थे।
जलवायु परिवर्तन का असर स्पीति घाटी के हिमनदों पर पड़ता हैं सबसे अधिक
उधर आईआईएससी बंगलूर की अध्ययन के मुतबिक जलवायु परिवर्तन का असर स्पीति घाटी के हिमनदों पर सबसे अधिक पड़ता प्रतीत हो रहा है। अध्ययन के मुताबिक स्पीति घाटी में 750 हिमनद हैं। यह 550.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हैं। तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से घाटी के हिमनदों के साथ साथ हिमालयी क्षेत्र के कई अन्य हिमनद पिघलने लगे हैं। तापमान में बढ़ोतरी की रμतार तेज होने पर हिमनदों के पिघलने की गति बढ़ेगी। हिमालयी क्षेत्र के तापमान में 4.1 डिग्री सेल्सियस का इजाफा होने पर 2070 तक स्पीति घाटी के 76 फीसद के करीब हिमनद विलुप्त होने का खतरा है।