कांगड़ा : मकर सक्रांति के दिन घृत पर्व के आयोजन पर शक्तिपीठ मां श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में अब तक लगभग 19 क्विंटल देसी घी श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में चढाया गया है। वहीं पुजारी वर्ग द्वारा लगभग 16 क्विंटल देसी घी को मक्खन में बदल दिया गया है। मक्खन बनाने के लिए देसी घी दान देने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी दिन-बदिन बढ़ती जा रही है। ठंड के बावजूद देसी घी को शीतल जल में एक सौ एक बार धोकर मक्खन बनाने के दौरान हाथ सुन्न से हो जाते हैं, पर मां के आशीर्वाद से यह काम जारी रहता है।
पुजारियों का कहना है कि माँ के आशीर्वाद से घृत पर्व के सभी कार्य स्वयं हो जाते हैं। घृतमंडल पर्व मकर संक्रांति से लेकर सात दिन तक चलता है। इस दौरान लोग मंदिर में माता के इसी रूप का दीदार करते हैं। सात दिन बाद इस मक्खन को माता की पिंडी से उतारा जाता है। उसके बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मान्यता है कि माता की पिंडी पर मक्खन चढ़ने के बाद यह औषिध बन जाता है। लोग इसे व्याधि या अन्य चर्म रोगों को दूर करने के लिए प्रयोग करते हैं, लेकिन इसे खाने के लिए उपयोग नहीं किया जाता है।
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पंडित राम प्रसाद ने बताया कि इस मक्खन रूपी प्रसाद से धाव, फोड़े आदि पर लगाने से उनका उपचार हो जाता है। प्रदेश सहित अन्य राज्यों के हजारों श्रद्धालु प्रसाद लेने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर सहायक आयुक्त नवीन तंवर ने बताया कि देसी घी दान देने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मे दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। अभी तक 19 क्विंटल देसी घी श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में चढाया गया है।
वहीं पुजारी वर्ग द्वारा 16 क्विंटल देसी घी को मक्खन में बदल दिया गया है। श्रद्धालुओं से अपील की है कि 13 जनवरी तक ही दान आने वाले देसी घी को मंदिर प्रशासन के पास जमा करवा दें और उसके बाद दान में आने वाले देसी घी का प्रयोग मक्खन बनाने में नही किया जाएगा। उन्होने बताया कि घृत पर्व के लिए मंदिर प्रशासन ने तैयारियां कर ली है।