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दुर्गा अष्टमी पर पूजन के लिए ढूंढे नहीं मिली कन्याएं, पांच से सात कन्याओं को इकट्ठा करना भी हुआ मुश्किल

सुजानपुर (गौरव जैन) : दुर्गा अष्टमी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाया गया हैं। मान्यता के अनुसार अष्टमी के अवसर पर देवी दुर्गा के रूप में कन्याओं की पूजा करना शुभ माना जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार अष्टमी और रामनवमी पर जजमान अपने घर में कन्या पूजन के लिए प्रातः से ही तैयारियां करना शुरू कर देते हैं। हलवा-पूरी, चने, मिष्ठान इत्यादि बनाकर कन्याओं की पूजा की जाती है। इच्छा अनुसार कन्याओं को प्रसाद के रूप में माता की चुनरी लाल वस्त्र, सुहागी श्रृंगार, सम्मान एवं खिलौने आदि भी दिए जाते हैं। तमाम तैयारियां तब धरी की धरी रह जाती हैं, जब पूजन के लिए आस-पड़ोस में कन्याएं ही नहीं मिलती हैं।

मान्यता अनुसार कन्या पूजन के लिए एक, तीन, पांच, सात और नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है, लेकिन कई बार पूजन के लिए कन्याएं मिलती ही नहीं इसका मुख्य कारण कन्याओं का घटता लिंगानुपात है और कुछ एक परिजन अपने कन्याओं को पूजन के लिए भेजते ही नहीं है। अंधविश्वास और कहीं कोई प्रसाद के नाम पर उनकी बेटी कन्या के साथ कुछ गलत ना करें। इस बात का भी भय लोगों के मन में लगा रहता है यही कारण है कि दुर्गा अष्टमी और रामनवमी पर कन्याओं का पूजन तो हर कोई करना चाहता है, लेकिन इच्छा स्वरूप देवी रूपी कन्याएं उपलब्ध नहीं होती, जिसके बाद एक दो कन्यायों का पूजन करके बाकी कन्याओं का प्रसाद मंदिर में ही अर्पित करना पड़ रहा है।

सुजानपुर शहर में दुर्गा अष्टमी के दिन बुधवार को इस तरह का मंजर कई स्थानों पर देखने को मिला, जहां कन्या पूजन के लिए परिवारिक सदस्यों में मेरे घर पहले पूजन हो मेरे घर लड़कियां पहले पहुंच जाएं। इसको लेकर खूब दौड़ धूप लगी रही। कुछेक ने पूजन किया और कुछ एक ने इस बात को अगले दिन रामनवमी पर कन्या पूजन करने का कार्यक्रम निर्धारित किया।

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