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आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में दें अपना महत्वपूर्ण योगदान : राज्यपाल Shiv Pratap Shukla

शिमला (गजेंद्र) : राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने लोगों का आह्वान किया कि वे एकजुट होकर समर्पित भाव से कर्तव्य पथ पर आगे बढ़कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। राज्यपाल आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में 14वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय संस्कृति और सभ्यता को जानने-पहचानने का यह एक प्रयास है। पिछले 75 वर्षों में भारत ने जो विकास किया है और विकास की नई रफ्तार पकड़ी है उसकी जानकारी आदिवासी समाज तक पहुंचाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र बलों की सहभागिता से आदिवासी युवाओं का इनके साथ आपसी तालमेल, सहयोग और भाईचारा और बढ़ेगा। इससे आदिवासी जनसंख्या देश के विकास में और अधिक योगदान दे सकेगी।

राज्यपाल ने कहा कि अगले 25 वर्षों की यात्रा देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अमृत काल’ कहा है। इस अमृत काल में प्रधानमंत्री ने जिन ‘पंच प्रण’ का आह्वान किया है उनमें विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को इन्हें कार्यान्वित करने में अपना बहुमूल्य योगदान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस अमृतकाल में हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए और तेज गति से काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ‘सबका प्रयास और सबका कर्तव्य’ इस भावना से आगे बढ़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज के असंख्य लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से आदिवासी समाज की उच्च संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का आदान-प्रदान सुनिश्चित बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में देश भर से आदिवासी युवा आए हैं और प्रदेश से भी आदिवासी युवा उनके जिलों में जाएं। इस तरह एक भारत-श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी युवा जल, जंगल, जमीन, जलाश्य के महत्व को अच्छी तरह जानते हैं क्योंकि वे प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन को आगे बढ़ाने का महत्व समझते हैं।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। यही संवेदनशीलता आज वैश्विक अनिवार्यता बन गई है। इसे सभी को समझाने और उनके माध्यम से मार्गदर्शन करने की जरूरत है। इस अवसर पर, राज्यपाल ने सचिव श्री राजेश शर्मा, भारत तिब्बत सीमा बल के उप-महानिरीक्षक श्री प्रेम सिंह तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के विधि विभाग के डीन श्री संजय सिंधू को सम्मानित भी किया। बाद में, राज्यपाल ने आदिवासी युवा यात्रा को हरि झण्डी दिखाकर रवाना किया। नेहरू युवा केंद्र संगठन के राज्य निदेशक श्री सेमसन मसीह ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा संगठन की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। जिला युवा अधिकारी मनीषा अधिकारी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में 200 आदिवासी युवा लेंगे भाग

नेहरू युवा केंद्र संगठन, हिमाचल प्रदेश के माध्यम से 12 मार्च से 18 मार्च तक शिमला में 14वां आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मैं इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न जिलों से आए 200 आदिवासी युवा भाग ले रहे हैं जिनमें विशेष तौर पर छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा से आए प्रतिभागियांे भी शामिल हैं। इस कार्यक्रम में सी.आर.पी.एफ., बी.एस.एफ., आई.टी.बी.पी., एस.एस.बी. के 20 एस्कॉर्ट्स भी भाग ले रहे हैं। ये सभी केंद्रीय सशस्त्र बल अपनी महत्वपूर्ण सहभागिता के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग दे रहे हैं।

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