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हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष Kuldeep Singh Pathania ने 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे किए स्वीकार

शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने उन तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे सोमवार को स्वीकार कर लिए जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था। पठानिया ने कहा, कि ‘इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं और ये तीन विधायक तत्काल प्रभाव से 14वीं विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे।’’ निर्दलीय विधायक होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और के एल ठाकुर (नालागढ़) ने कांग्रेस के छह बागी विधायकों के साथ 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया था।

तीनों विधायकों ने 22 मार्च को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था लेकिन अध्यक्ष ने यह कहते हुए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था कि उन्हें कांग्रेस विधायक दल की ओर से एक प्रतिवेदन मिला है कि उन्होंने दबाव में इस्तीफा दिया है, स्वेच्छा से नहीं।ये विधायक 23 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को उनका इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का रुख किया था। इस संबंध में अदालत अध्यक्ष को निर्देश जारी कर सकती है या नहीं, इस पर अलग-अलग राय होने के कारण यह मामला तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा गया। यह अभी अदालत में लंबित है।

विधायकों ने अपनी मांग को लेकर विधानसभा परिसर में धरना भी दिया था। पठानिया ने कहा, कि ‘कांग्रेस नेता जगत सिंह नेगी ने इन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने से पहले भाजपा में शामिल होने पर दलबदल विरोधी कानून के तहत इन्हें अयोग्य ठहराने का अनुरोध करते हुए एक अन्य याचिका दायर की। चूंकि मैंने इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं तो अन्य याचिका खुद ही खारिज हो जाएगी।’’ उन्होंने कहा, कि ‘कुल मिलाकर परिणाम यह है कि चाहे आप इस्तीफा स्वीकार करें या अयोग्य ठहराएं, ये विधायक 14वीं विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे। मैंने कोई कठोर आदेश पारित नहीं किया है।’’ विधानसभा अध्यक्ष के आदेश का स्वागत करते हुए ठाकुर ने कहा कि भले ही देर हो गयी है लेकिन सही फैसला आया है।

उन्होंने कहा, कि ‘बेहतर होता, अगर अध्यक्ष पहले ही इस्तीफे स्वीकार कर लेते और इन तीन विधानसभा सीटों पर भी लोकसभा चुनाव के साथ ही चुनाव का मार्ग प्रशस्त कर देते।’’ ठाकुर ने कहा कि अगर पहले फैसला दिया गया होता तो उससे धन की बचत होती और फिर से आदर्श आचार संहिता लागू करने से बचा जा सकता था। इससे पहले, अध्यक्ष ने बजट प्रस्ताव पर मतदान के दौरान विधानसभा में उपस्थित रहने तथा सरकार के पक्ष में मतदान करने संबंधी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर कांग्रेस ने छह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।

इन विधायकों की 6 सीटों को रिक्त घोषित किया गया जिससे सदन में सदस्यों की संख्या 68 से कम होकर 62 रह गई। अध्यक्ष के तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के साथ ही सदन में सदस्यों की संख्या 59 रह गयी है। राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 34 और भाजपा के 25 विधायक हैं। कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के बाद खाली हुईं छह विधानसभा सीटों धर्मशाला, सुजानपुर, बड़सर, गगरेट, कुटलेहड़ तथा लाहौल और स्पीति पर उपचुनाव के लिए एक जून को मतदान हुआ था। भाजपा ने इन सीटों से उन छह नेताओं को ही उतारा है जो पहले कांग्रेस के टिकट पर इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

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