नालागढ़: हिमाचल के दवा उद्योगों को अब दवाओं की जांच के लिए बाहरी राज्यों की प्रयोगशालाओं के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। दवा उद्योगों की सहूलियत के लिए बददी में करीब 32 करोड़ लागत से स्थापित प्रदेश की पहली ड्रग टेस्टिंग लैब त्रियाशील हो गई है। इस लैब के शुरू होने से जहां राज्य दवा नियंत्रण प्राधिकरण को दवा नमूनों की जांच में मदद मिलेगी, वहीं हिमाचल के दवा निर्माताओं को भी अब दवाओं की जांच के लिए निजी प्रयोगशालाओं के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इस ड्रग टेस्टिंब लैब के संचालन के लिए पंचकूला की आईटीसी लैब्स को आऊटसोर्स किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय ने औषधि विनियामक ढांचे के सुदृढ़ीकरण के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत राज्य स्वास्थ्य विभाग को 30 करोड़ रुपए प्रदान किए थे, जबकि बाकी खर्च राज्य सरकार ने वहन किया। आठ वर्ष पूर्व केंद्र से फंड जारी हुए थे, जबकि गत वर्ष मार्च में इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किया था। इस ड्रग टेस्टिंग लैब में सालाना 8000 से 10000 दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया जा सकेगा। दवा नियंत्रक प्राधिकरण अब तक दवाओं के परीक्षण के लिए कंडाघाट में कंपोजिट टेस्टिंग लैब पर निर्भर था। बद्दी के झाड़माजरी में भी कंपोजिट टेस्टिंग लैब स्थापित करने की कवायद चल रही है। ऐसे में बद्दी में ही एक और हाइटेक लैब की स्थापना दवा उद्योगों में गुणवत्तापूर्ण दवा निर्माण को और प्रभावी ढंग से लागू करने में खासी मददगार साबित होगी।
राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि ड्रग टेस्टिंग लैब ने कार्य शुरू कर दिया है। दवा कंपनियों को दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों का परीक्षण करवाने के लिए बाहरी राज्यों का रुख कर महंगी दरों पर परीक्षण करवाने पड़ते हैं। वहीं ड्रग टेस्टिंग लैब को संचालित करने के लिए पंचकूला स्थित आईटीसी लैब्स को आउटसोर्स किया गया है, राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष छह करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने 30-40 तकनीशियन और 10 प्रशासनिक अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है, जबकि राज्य सरकार ने इसके कामकाज की देखरेख के लिए दो सरकारी विश्लेषक उपलब्ध कराए हैं।