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हेपेटाइटिस के इलाज में देरी हो तो हो सकता है कैंसर का खतरा

कुल्लू (सृष्टि शर्मा): हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसे प्रति लोगों को जागरूक करने से मकसद से हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। यह दिन नोबेल-पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) की खोज की थी और इस वायरस के लिए एक परीक्षण और टीका विकसित किया था। डॉ बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिन पर हेपेटाइटिस दिवस मनाकर उन्हें सम्मान दिया जाता है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस पहली बार साल 2008 में मनाया गया। हेपेटाइटिस लिवर से संबंधित गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस का सही समय पर उपचार न होने पर जान का जोखिम भी हो सकता है। हेपेटाइटिस में पांच तरह के संक्रमण होते हैं, ‘ए, बी, सी, डी और ई’। हेपेटाइटिस का खतरा कई कारणों से हो सकता है, जैसे कमजोरी इम्यूनिटी, खानपान में गड़बड़ी, ड्रग्स, शराब और नशीले पदार्थों का बहुत ज्यादा सेवन करने से इस बीमारी का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा मानसून में हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। सीएमओ कुल्लू डॉ नागराज पवार ने बताया की हेपेटाइटिस के इलाज में देरी से पहले पीलिया और फिर लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर हो सकता है। हेपेटाइटिस वायरस में पांच सामान्य रूप से ज्ञात उपभेद हैं: टाइप ए, बी, सी, डी। वे सभी यकृत को प्रभावित करते हैं लेकिन रोग की उत्पत्ति, संचरण और गंभीरता में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। हेपेटाइटिस को टीकाकरण और प्रबंधकीय के साथ रोका जा सकता है, लेकिन वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। जबकि सभी प्रकार के हेपेटाइटिस के परिणामस्वरूप यकृत रोग हो सकता है, लक्षण, संचरण के तरीके और समग्र प्रभाव भिन्न हो सकते हैं। सामान्य अभिव्यक्तियों में थकान, पेट दर्द, बुखार और गंभीर मामलों में, यकृत की विफलता और मस्तिष्क क्षति शामिल हैं। हालांकि, हेपेटाइटिस वाले कुछ व्यक्ति किसी भी लक्षण को प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं, जो जागरूकता और प्रारंभिक पहचान के महत्व को रेखांकित करते हैं।

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