नालागढ़: इस बार विधानसभा का चुनाव परिणाम जहां अचंभित कर गया। वहीं जो परिणाम सामने आया वो भाजपा हाईकमान के लिए आंख खोलने वाला था। पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने साथ कांग्रेस जोडो अभियान के तहत नालागढ़ के कांग्रेस विधायक लखविंद्र राणा व कांगडा के पवन काजल को शामिल किया था जिसमें काजल तो आंखों का नूर बन गए लेकिन राणा तीसरे नंबर पर पहुंच गए। यहां चर्चा बनी कि केएल के चुनाव चिन्ह रिमोट ने भाजपा के फूल को म्यूट कर दिया और दूसरे नंबर पर कांग्रेस के हरदीप बावा आए और राणा तीसरे स्थान पर पहुंचा दिए गए। जिलाध्यक्ष सोलन बीजेपी आशुतोष वैद्य की रिर्पोट पर कांग्रेस के विधायक राणा को भाजपा में लाकर खेला तो पार्टी ने मास्टर स्ट्रोक था लेकिन यह स्ट्रोक गहरा जख्म दे गया।
पार्टी ने बगैर मंडल व जन भावनाओं को समझे अचानक टिकट के दावेदार और पांच साल से मेहनत कर रहे कृष्ण लाल ठाकुर को दरकिनार कर लखविंद्र राणा पर दाव खेला था, पर यहां केएल ने ऐसा खेला कर दिया कि मोदी-जयराम की भाजपा को भनक तक नहीं हुई। यह किसी आजाद विधायक की इस चुनाव में इतनी बडी 13264 वोटों से जीत है कि इतनी जीत किसी सिबंल वाले को नहीं मिली। टिकट कटते ही नालागढ़ विस की 90 फीसदी भाजपा कृष्ण लाल ठाकुर के साथ चली गई तो उनको विस क्षेत्र के आम लोगों की सहानुभूति भी खूब मिली। लोगों ने सोशल मीडीया पर केएल के पोस्टर को ट्रोल किया कि जिसमें लिखा था मेरा कसूर क्या है। इस चुनाव की खास बात यह रही कि केएल ठाकुर ने समस्त आठ राऊंड में एक तरफा लीड बनाकर रखी और लखविंद्र राणा भाजपा और हरदीप बावा कांग्रेस दूसरे और तीसरे नंबर की लडाई लडते रहे। यहां पर पार्टी ने केएल को पूरे पांच साल खुडडे लाईन लगाकर रखा और अधिकांश हारे हुए विधायकों को झंडी बत्ती दी थी लेकिन कृष्ण को इससे मरहूम रखा। इसके बावजूद भी कृष्ण लाल ठाकुर जो कि पिछला चुनाव 1200 वोटों से हारे थे ने अपनी गलतियां सुधारी और संगठन को भी मजबूत किया लेकिन जब फल देने की बात आई तो पराए लोगो को सिर पर बैठा दिया गया।
केएल ठाकुर की जीत से यह बात भी साबित हो गई कि हाईकमान का टिकट किसी को थमा देना जीत का पैमाना नहीं होता। इसमें कार्यकर्ताओं की भावनाएं भी सम्माहित होनी चाहिए। यहां पर खास बात यह है कि कृष्ण लाल ठाकुर की जीत का आंकडा एक निर्दलीय के तौर पर 13264 रहा तो हमीरपुर के भाजपा बागी निर्दलीय 12899 रहा वहीं भाजपा के तीसरे बागी निर्दलीय होशियार सिंह राणा देहरा की जीत का मार्जन 3877 रहा।