रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले में इस बार ऊन से तैयार किया गया मफलर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस मफलर को बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। कलपा किन्नौर से आए व्यापारी ने बताया कि उनके द्वारा यहां पर हर साल ऊन से तैयार किए विभिन्न उत्पाद बेचने के लिए लाए गए हैं। इनमें मफल सबसे किमती उत्पाद है, जिसकी किमत 25 हजार रुपए है। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले में यूं तो ऊन से बने कई प्रकार के कपड़े मौजूद हैं, लेकिन कन्नौरी मफलर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। व्यापारी ने बताया कि इस मफलर को तैयार करने में लगभग 25 दिन का समय लगता है। यह मफलर पांच भेड़ों की ऊन से तैयार किया गया है। इस किन्नौरी मफलर की अधिक डिमांड रहती है।
व्यापारी ने बताया कि ऊन को पहले डाई (रंग) किया जाता है। पहले लवी मेले में ऊन का व्यापार किया जाता था, लेकिन अब ऊन से बने कपड़ों का व्यापार किया जाता है। उन्हीं में से मफलर भी एक है, जिसकी कीमत 25 हजार रूपए है। व्यापारी ने बताया 20 हजार के करीब भी यहां पर मफलर मौजूद है। उन्होंने बताया जैसे-जैसे मफलर को तैयार करने में अधिक ऊन का प्रयोग किया जाता है इसके साथ समय भी लगता है, वैसे ही इसकी कीमत बढ़ती जाती है। व्यापारी ने बताया कि समय के साथ काफी बदलाव हो चुका है। अब यहां पर स्वदेशी के स्थान पर बाहरी राज्यों का समान ज्यादा मिलता है।
वहीं इस दौरान कुशाल शर्मा ने बताया कि हर साल रामपुर में अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले में किन्नौर के व्यापारियों द्वारा विभिन्न उत्पाद बेचने के लिए लाए जाते हैं। मफलर ऊन से तैयार किया गया है वह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उन्होंने बताया कि यह बेहद खुबसूरत है। ऐसे उत्पादों से अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला और भी आकर्षित बन जाता है।