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न गाड़ी दी थी न स्टाफ, Sanjauli में चौकी को बना दिया था नाम का Police Station

शिमला : पूर्व भाजपा सरकार ने शिमला शहर के संजौली स्थित पुलिस चौकी को अपग्रेड कर थाना महज दिखावे के लिए बनाया। थाने को न तो अतिरिक्त स्टाफ दिया गया न ही गाड़ी। थाना पुलिस के पास रूटीन गश्त पर जाने के लिए भी गाड़ी नहीं थी। चौकी में जो स्टाफ था वही जवान वहां पर तैनात थे। उसमें एक भी जवान की संख्या नहीं बढ़ाई गई। यही नहीं जिस भवन में यह चौकी चल रही थी थाना भी उसी भवन में चला। सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व सरकार के अंतिम 9 महीनों में खोले गए संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया, जिसके तहत इस थाने को डिनोटिफाई कर चौकी बना दिया गया है।

शिमला जिला में पहले से ऐसी कई चौकियां चल रही है जिसमें स्टाफ कम हैं। कई चौकियां नाम के लिए ही खोली गई है। पूर्व भाजपा सरकार ने शिमला शहर के संजौली स्थित पुलिस चौकी को अपग्रेड कर थाना बनाया था। तत्कालीन सरकार ने कैबिनेट में पद सृजित करने का भी निर्णय लिया। 11 अक्तूबर को पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस थाने का शुभारंभ किया था। बता दे कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में खुले 8 उप तहसील कार्यालयों को भी सुक्खू सरकार ने बंद किया था। इनको सरकार ने अंतिम 9 महीनों में खोला था। इनमें समरकोट, धमवाडी थैली, चखटी, ज्यूरी, बडागांव, बल्देयां कोटी मतियाना शामिल थे। इनमें जो स्टाफ कार्यरत था उन्हें वापस मूल विभाग में बुला लिया था। जिलाधीश को सरकार ने निर्देश दिए थे कि कर्मचारियों की एडजेस्टमेंट मूल विभागों में करें। अभी तक तहसीलदारों के स्थायी आदेश नहीं किए गए हैं।

यह था तर्क

जला पुलिस की तरफ से ही ढली चौकी को अपग्रेड कर थाना बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। इसमें तर्क दिया गया था कि संजौली क्षेत्र में जनसंख्या काफी ज्यादा है और एनडीपीएस एक्ट के मामले जिला में सबसे ज्यादा यहीं पर पंजीकृत हो रहे हैं। थाने के पास प्र्याप्त स्टाफ होता है। वह मामलों की जांच सही तरह से कर पाएगा। जिला पुलिस की तरफ से प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को भेजा गया था। पुलिस मुख्यालय ने सरकार को यह प्रस्ताव भेजा। जिसे कैबिनेट में मंजूरी दी गई।

क्या बोली शिमला पुलिस अधीक्षक डा. मोनिका भूटुंगरू

शिमला पुलिस अधीक्षक डा. मोनिका भूटुंगरू का कहना है कि संजौली चौकी को अपग्रेड कर थाना बनाया गया था। यहां गाड़ी की सुविधा नहीं थी। इसके लिए अस्थायी व्यवस्था की थी। स्टाफ भी अतिरिक्त नहीं लगाया था। इसे डिनोटिफाई किया गया है। अब यह चौकी के रूप में ही काम कर रही है।

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