हिमाचल : लाहौल स्पीति में अब स्नो लेपर्ड का कुनबा बढ़ने लगा है। स्नो लेपर्ड को लाहौल स्पीति की वादियां रास आ रही है और वह आए दिन ग्रामीण इलाकों के आसपास भी चहल कदमी करते हुए नजर आ रहे हैं। लाहौल घाटी के बिलिंग गांव में भी तीन स्नो लेपर्ड पहाड़ियों पर चहल कदमी करते हुए नजर आए हैं। स्थानीय युवक दीपेंद्र ओथागवा के द्वारा ने अपने कैमरे में कैद किया गया है। इससे पहले भी मनाली केलांग सड़क मार्ग पर तीन स्नो लेपर्ड के शावक सड़क पर दौड़ते हुए नजर आए थे।
वही स्पीति घाटी में भी आए दिन स्नो लेपर्ड कैमरे में कैद हो रहे हैं। इससे पता चलता है कि लाहौल स्पीति का वातावरण इनके लिए अनुकूल साबित हो रहा है। इन दिनों लाहौल स्पीति की वादियां बर्फ की चादर से ढकी हुई है ऐसे में शिकार की तलाश में भी यह स्नो लेपर्ड निचले इलाकों का रुख कर रहे हैं। वही वन विभाग की मानें तो बर्फानी तेंदुए ने स्पीति घाटी के अनुरूप खुद को ढाल लिया है और यहां अब उनकी हलचल अधिक दिखने लगी है। वन विभाग के प्रयासों से घाटी में इन तेंदुए को अनुकूल वातावरण भी मिला है। हिमाचल प्रदेश में वन विभाग इनकी सुरक्षा व रिसर्च पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है, साथ ही स्थानीय लोग भी इनकी सुरक्षा में योगदान दे रहे हैं।
स्पीति घाटी में आइबेक्स व ब्लू शीप जैसे जंगली जानवरों के शिकार पर कई तरह के सामाजिक व धार्मिक प्रतिबंध से उनकी भी तादाद बढ़ी है और बर्फानी तेंदुओं को भी आसानी से शिकार मिल जाता है। केलांग से जिला परिषद सदस्य कुंगा बौद्ध का कहना है कि लाहौल घाटी में स्नो लेपर्ड अब अधिक संख्या में नजर आ रहे हैं। तो वहीं स्थानीय लोग भी इनके संरक्षण के लिए प्रयासरत है। लाहौल घाटी में महिला मंडलों के द्वारा आई बेक्स के शिकार पर भी रोक लगाई गई है। जिसके चलते अब यह ग्रामीण इलाकों में भी खुलकर विचरण करते हैं।