30 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी पर लटकी तलवार, विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट

शिमला (गजेंद्र) : प्रश्नकाल से पहले आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकले जाने के मुद्दे पर चर्चा न मिलने से खफा विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू की हैं। नियम 67 के तहत और आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने के मुद्दे पर सदन में विपक्ष चर्चा की मांग कर रहा था। चर्चा ना.

शिमला (गजेंद्र) : प्रश्नकाल से पहले आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकले जाने के मुद्दे पर चर्चा न मिलने से खफा विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू की हैं। नियम 67 के तहत और आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने के मुद्दे पर सदन में विपक्ष चर्चा की मांग कर रहा था। चर्चा ना मिलने से खफा विपक्ष ने सदन के अन्दर ही नारेबाजी शुरू कर दी। आधे घंटे तक सदन के अन्दर नारेबाजी करने के बाद विपक्ष ने सदन की कार्यवाही से वर्कआउट कर दिया। हिमाचल विधानसभा में आउटसोर्स भर्तियों को लेकर जोरदार हंगामा हुआ।

इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक भी हुई। इससे पहले BJP विधायक सुखराम चौधरी, त्रिलोक जमवाल, सुरेंद्र शौरी,रणधीर शर्मा,जनकराज, विपिन सिंह परमार, विनोद कुमार और हंसराज ने आउटसोर्स भर्ती को लेकर चर्चा की मांग की। स्पीकर ने कहा कि बजट सत्र के दौरान आउटसोर्स भर्तियों को लेकर कई प्रश्न लग चुके हैं। तब इस पर चर्चा हो गई। इसलिए अब दोबारा इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। स्पीकरकी व्यवस्था से नाखुश विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

विपक्ष के विरोध की डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री ने निंदा करते हुए कहा कि 100 दिन बाद इन्हें आउटसोर्स कर्मियों की याद आ रही है। जब BJP की सरकार थी, तब इन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के लिए पॉलिसी क्यों नहीं बनाई। हिमाचल के विभिन्न विभागों व बोर्ड-निगमों में लगभग 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं। इन कंपनियों के साथ करार खत्म होने की वजह से लगभग 2500 कर्मचारी बाहर हो गए हैं।

सैकड़ों की नौकरी पर अभी तलवार लटकी हुई है। इनके भविष्य का क्या होगा, यह अभी तय नहीं है। इन्हें सेवाएं देते हुए 10 से 20 साल बीत गए है, लेकिन अब तक इनका भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाया। 2017से तक पूर्व वीरभद्र सरकार और 2017 से 2022 तक जयराम सरकार इन्हें पॉलिसी का झुनझुना देती रही, लेकिन आज तक पॉलिसी नहीं बन पाई।

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