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फसल विविधीकरण पायलट परियोजना के तहत 3 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू

रामपुर (मीनाक्षी): जिला शिमला के रामपुर उपमंडल के क्याव गांव में फसल विविधीकरण पायलट परियोजना के अंतर्गत तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस शिविर में क्षेत्र के किसानों को फसल विविधीकरण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गईं, जिससे वे पारंपरिक खेती के अलावा अन्य विकल्पों को अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकें।

इस प्रशिक्षण शिविर के दौरान डॉ. अशोक कुमार ने किसानों को फसल विविधीकरण के महत्व और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक ही प्रकार की फसल उगाने के बजाय विभिन्न प्रकार की फसलों को अपनाने से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह मृदा की उर्वरता बनाए रखने और जल प्रबंधन में भी सहायक सिद्ध होगा।

उन्होंने बताया कि फसल विविधीकरण का अर्थ है कि किसान पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और मक्के के स्थान पर विभिन्न प्रकार की फसलें, जैसे कि सब्जियां, मसाले, औषधीय पौधे, फलदार वृक्ष, फूलों की खेती, तथा नकदी फसलें उगाने पर ध्यान दें। इससे किसानों की आय के नए स्रोत विकसित होंगे और खेती में आने वाली चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलेगी।

डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि फसल विविधीकरण से  यदि एक फसल खराब होती है, तो दूसरी फसल से नुकसान की भरपाई की जा सकती है। एक ही प्रकार की फसल लगातार उगाने से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है, जबकि विविधीकरण से मिट्टी के पोषक तत्व संतुलित रहते हैं।

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