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माता रानी का अनोखा मंदिर, जहां पर जमीन पर सोने से महिलाएं हाेती हैं गर्भवती

सिमसाः इस मंदिर की आस्था के साथ जुड़ा है, एक ऐसा रहस्य, जिससे विज्ञान भी हैरान हैं। यहां पर मां सूनी गोद भरने का वरदान देती हैं। यहां पर फर्श पर साेने से महिलाओं काे संतान की प्राप्ति हाेती हैं। नवरात्रों में यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर की एक और अद्भुत बात है मंदिर के पास की चमत्कारी शीला। ताे चलिए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में-

मां सिमसा का यह मंदिर हिमाचल के मंडी जिले के सिमस गांव में है, जाे बैजनाथ से 25 किलोमीटर और जोगिंदर नगर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में साक्षात विराजमान है मां सिमसा, यहां पर मां महिलाओं को सूनी गोद काे भरने का वर देती हैं। यहाँ पर नि:सन्तान दंपति संतान पाने की इच्छा लेकर मां सिमसा के दरबार में आते हैं। इस मंदिर को संतान दात्री मंदिर भी कहते हैं। यहां मां शारदा पिंडी रूप में विराजमान हैं। नवरात्रों में यहां पर एक विशेष उत्सव हाेता हैं, जिसे स्थानीय भाषा में “सलिन्दरा” कहा जाता है। सलिन्दरा का अर्थ है स्वप्न अथवा ड्रीम। यहां पर महिलाएं दिन रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं और मां स्वप्न में आकर उन्हें संतान हाेने का वरदान देती हैं।

मान्यता के अनुसार, अगर सपने में महिला को मां से केले या अमरूद का फल मिलता है तो उसका अर्थ है कि उसे पुत्र होगा और अगर भिंडी या लौकी मिलती है तो इसका अर्थ है कि महिला की होने वाली संतान लड़की है। हैरान करने वाली बात ये हैं कि मां सिमसा अपने भक्तों को यह तक बता देती हैं कि उनकी संतान नहीं होगी या बहुत देर से होगी, अगर महिला को सपने में कोई धातु या लकड़ी से मिली कोई ठोस वस्तु प्राप्त हो तो इसका मतलब है कि महिला की संतान नहीं होगी या फिर देर से होगी।

मंदिर के पास एक बावड़ी भी है, जहां स्नान करने के बाद महिलाएं मंदिर के बरामदे में सोती हैं। अगर संतान नहीं होनी हाे तो महिला को चींटियां काटने लगती हैं और शरीर पर लाल निशान पड़ने लगते हैं, जिसके बाद उनको वहां से जाना पड़ता है। मंदिर की एक और अद्भुत बात है मंदिर के पास की चमत्कारी शीला। इस शीला को अगर हम अपने दोनों हाथों से हिलाएंगे तो यह नहीं हिलेगी और अगर छोटी उंगली से हिलाने की कोशिश करेंगे तो यह हिल जाएगी। जिस का रहस्या आज तक काेई नहीं जान सका हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस गांव में एक टोभा सिंह नामक व्यक्ति रहता था, जाे महाशिवरात्रि वाले दिन तरड़ी खोदने के लिए अपने घर से दूर नागण नामक स्थान पर गया, जहां पर उसने पहली चोट जमीन पर मारी ताे उसमें से दूध बाहर निकल आया, जब उसने दूसरी चोट मारी तो जमीन से पानी की धारा निकलने लगी और तीसरी चोट मारने पर जमीन से खून निकलने लग पड़ा, जिससे वह घबरा का घर आ गया, जिसके बाद मां ने रात को स्वप्न में आकर दर्शन दिए और कहा कि तू प्रात: नहाकर जहां खुदाई कर रहा था वहीं पर जाना और वहां खुदाई करने से तुझे एक मूर्ति मिलेगी। उस मूर्ति को पालकी में सजाकर धूमधाम से लाना और जहां पर वह मूर्ति भारी लगने लगे वहीं पर उसकी स्थापना कर मंदिर बनवाना… जिसके बाद आज भी यह मूर्ति वहां पर मौजूद है। खुदाई के समय की 3 चोटें आज भी यहां पर देखी जा सकती हैं। इस मंदिर काे लेकर भक्ताें की बहुत श्रद्धा हैं। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और मां आर्शिवाद लेते हैं।

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