जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वैश्विक जैवईंधन गठबंधन (जीबीए) की घोषणा के साथ वैश्विक ऊर्जा के क्षेत्र में आज एक ऐतिहासिक पल दर्ज हुआ। जीबीए जैव ईंधन को अपनाने की सुविधा के लिए सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और उद्योग का गठबंधन विकसित करने के लिए भारत के नेतृत्व वाली एक पहल है। जैव ईंधन के विकास और इसकी पहुंच बनाने के लिए जैव ईंधन के सबसे बड़े उपभोक्ताओं और उत्पादकों को एक साथ लाते हुए, इस पहल का उद्देश्य जैव ईंधन को एनर्जी ट्रांसमिशन की कुंजी के रूप में स्थापित करना है। साथ ही नौकरियों और आर्थिक विकास में योगदान देना भी इसका उद्देश्य है। जीबीए की घोषणा जी20 प्रेसिडेंट और “वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ” का प्रतिनिधित्व करने के रूप में भारत के सकारात्मक एजेंडे की कार्रवाई-उन्मुख प्रकृति को प्रदर्शित करती है।
जीबीए वैल्यू चेन में क्षमता-निर्माण अभ्यास, राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता और नीति पाठ-साझाकरण को बढ़ावा देकर दीर्घकालीन जैव ईंधन के विश्वव्यापी विकास और प्रसार का समर्थन करेगा। यह उद्योगों, देशों, ईकोसिस्टम के प्रतिभागियों और प्रमुख हितधारकों को मांग और आपूर्ति की मैपिंग में सहायता करने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को अंतिम उपयोगकर्ताओं से जोड़ने के लिए एक वर्चुअल बाज़ार जुटाने की सुविधा प्रदान करेगा। यह जैव ईंधन अपनाने और व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों, कोड, स्थिरता सिद्धांतों और विनियमों के विकास, अपनाने और कार्यान्वयन की सुविधा भी प्रदान करेगा।
यह पहल भारत के लिए कई मोर्चों पर लाभदायक होगी। जी20 की अध्यक्षता के एक ठोस परिणाम के रूप में जीबीए, विश्व स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा। इसके अलावा, गठबंधन सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा और प्रौद्योगिकी निर्यात और उपकरण निर्यात के रूप में भारतीय उद्योगों को अधिक अवसर प्रदान करेगा। यह भारत के मौजूदा जैव ईंधन कार्यक्रमों जैसे पीएम-जीवनयोजना, सतत और गोबर्धन योजना में तेजी लाने में मदद करेगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि, नौकरियां पैदा करने और भारतीय ईकोसिस्टम के समग्र विकास में योगदान मिलेगा। 2022 में वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य 99.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2032 तक 5.1% की सीएजीआर से बढ़ने और 2032 तक 162.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने का अनुमान है। आईईए के अनुसार, नेट ज़ीरो के लक्ष्य के कारण 2050 तक जैव ईंधन में 3.5-5 गुना वृद्धि की संभावना होगी जो भारत के लिए एक बड़ा अवसर पैदा करेगा।