आज राम नाम की गूंज पुरे देश में फैल गई है। लेकिन खा आपको पता है कि श्री राम से पहले अयोध्या कैसी थी। किसने बसाया था अयोध्या को? वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है, “अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या” और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। वेद-पुराण, उपनिषद और वाल्मीकि रामायण में अयोध्या का जिक्र तो है, लेकिन इन ग्रंथों के आधार पर अयोध्या की उम्र कैलकुलेट करना असंभव है। ऋग्वेद का संकलन करीब 3500 साल पहले हुआ था। जबकि अयोध्या का जिक्र जिस अथर्ववेद में मिलता है, उसका संकलन 3000 साल पहले पूरा हुआ होगा। इसी वजह से कुछ इतिहासकार ये तर्क देते हैं कि अयोध्या की उम्र अथर्ववेद के बराबर ही होगी। डॉ. याकोबी मैक्डोनाल्ड से लेकर मॉनियर विलियम्स जैसे इतिहासकार भी मानते हैं कि राम का जन्म आज से 2500 से 3000 साल पहले हुआ था।
(अष्टशचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या।
तस्यां हिरण्यय: कोश: स्वर्गों ज्योतिषावृतः )
–इसका मतलब है आठ चक्राकार महल और नौ द्वारों वाली अयोध्या देवों की पुरी है, उसमें प्रकाश वाला कोष है, जो आनन्द और प्रकाश से भरा है। इस मंत्र से ये पता चलता है कि अथर्ववेद के काल में भी अयोध्या न सिर्फ बसी हुई थी, बल्कि काफी सम्पन्न थी।
हालांकि वेदों और पुराणों के हिसाब से गणना करने वाले इससे सहमत नहीं है। ऐसा माना जाता है कि वेदों का अस्तित्व उनके संकलन से बहुत पहले से है और ये श्रुति परंपरा में चल रहे थे। यानी इन्हें लिखने के बजाय बोलकर अगली पीढ़ी को सिखाया जाता था। अथर्ववेद के संकलन से बहुत पहले से ही अयोध्या का जिक्र श्रुति परंपरा में था और इस हिसाब से उसका अस्तित्व भी इससे काफी पहले से था। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बी.के. शर्मा कहते हैं कि राम का जन्म त्रेता युग की शुरुआत में हुआ था। हर युग के समय को जोड़ें राम का जन्म आज से करीब 8.70 लाख साल पहले हुआ होगा।