नई दिल्ली। कांग्रेस ने मणिपुर में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विधायक दल की बैठक में कई विधायकों के अनुपस्थित रहने को लेकर मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या वह दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ नहीं पा रहे हैं। मणिपुर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राजग के विधायकों की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिन में ‘‘बड़े पैमाने पर अभियान’’ चलाने का आह्वान किया गया। सोमवार रात को हुई इस बैठक में 27 विधायकों ने भाग लिया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं।
कल रात मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इंफाल में राजग के सभी विधायकों की बैठक बुलाई, जिसमें उनके अलावा केवल 26 विधायक ही उपस्थित हुए। इन 26 में से 4 विधायक एनपीपी के हैं, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मौजूदा मुख्यमंत्री से समर्थन वापस लेने के लिए पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने कहा, दीवार पर लिखी इबारत बिल्कुल साफ है। लेकिन क्या मणिपुर के बड़े सूत्रधार – केंद्रीय गृह मंत्री इसे पढ़ रहे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री ने राज्य की सारी जिम्मेदारी सौंप दी है और आउटसोर्स कर दिया है? रमेश ने सवाल किया कि मणिपुर के लोगों की असहनीय पीड़ा, दुख और तकलीफ़ कब तक यूं ही जारी रहेगी।
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में दावा किया, ‘‘अब हमें तीन विधायकों के फर्जी हस्ताक्षर मिले हैं, जिनके बैठक में कथित रूप से उपस्थित होने का दावा किया गया था। इसलिए राजग के उपस्थित विधायकों की वास्तविक संख्या मुख्यमंत्री सहित सिर्फ 24 थी। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्य में कानून-व्यवस्था की मौजूदा स्थिति की समीक्षा के लिए सोमवार शाम सत्तारूढ़ राजग के मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाई थी।
राज्य 60 सदस्यीय विधानसभा में सात विधायकों वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया है और दावा किया है कि बीरेन सिंह सरकार पूवरेत्तर राज्य में ‘‘संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है।’’ हालांकि, इस समर्थन वापसी से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के पास 32 विधायकों के साथ बहुमत है।