कोलकाता: पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष विमान बंद्योपाध्याय ने मंगलवार को दावा किया कि में तृणमूल कांग्रेस के पिछले साढ़े 12 साल के शासनकाल में राजभवन से 22 महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी मिलनी बाकी है।विपक्ष शासित राज्यों में विधेयकों को राज्यपालों की ओर से मंजूरी में देरी किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बंद्योपाध्याय ने मीडियाकर्मयिों को 2011 से राज्यपाल के कार्यालय से मंजूरी के लिए लंबित विधेयकों का आंकड़ा दिया।
उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को राजभवन में एक मसौदा अनुभाग बनाना चाहिए।बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘‘यह मसौदा अनुभाग इस बात की जांच करने में सक्षम होगा कि विधानसभा के पटल पर पारित विधेयकों में कानूनी खामियां हैं या नहीं। लोकसभा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी विधेयकों की जांच के लिए समान समितियां हैं। समिति का काम विधेयकों की जांच करना और यदि कोई कमी हो तो उसे संबंधित अधिकारियों के ध्यान में लाना है।‘‘
स्पीकर ने यह भी कहा कि अगर राजभवन में लंबित विधेयकों में कुछ खामियां हैं, तो राज्यपाल के अधिकारी राज्य के महाधिवक्ता से परामर्श कर सकते हैं।बंद्योध्याय के अनुसार, मौजूदा शासन के पहले कार्यकाल में 2011 से 2016 के बीच पारित किए गए तीन विधेयक अभी भी राजभवन में मंजूरी के लिए लंबित हैं।उन्होंने दावा किया कि 2016 से 2021 तक दूसरे कार्यकाल में पारित चार विधेयक प्राप्त नहीं हुए हैं, 2021 से शुरू होने वाले तीसरे कार्यकाल में 15 विधेयक राज्यपाल के कार्यालय से मंजूरी के लिए लंबित हैं।
2011 के बाद से पश्चिम बंगाल ने पांच राज्यपाल देखे हैं – एम.के. नारायणन, केशरी नाथ त्रिपाठी, जगदीप धनखड़, ला गणोशन और इस समय सी.वी. आनंद बोस।धनखड़ और बोस के कार्यकाल के दौरान गवर्नर हाउस और राज्य सचिवालय के बीच संबंध ज्यादा कड़वे रहे हैं।