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भारतीय मूल की ब्रिटिश लेखिका को लंदन विवि ने ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधि प्रदान की

कोलकाता में जन्मी इतिहासकार-लेखिका श्रबणी बासु को साहित्य तथा साझा ब्रिटिश भारतीय इतिहास के अध्ययन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए लंदन

लंदन: कोलकाता में जन्मी इतिहासकार-लेखिका श्रबणी बासु को साहित्य तथा साझा ब्रिटिश भारतीय इतिहास के अध्ययन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए लंदन विश्वविद्यालय ने ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधि प्रदान की है। सर्वाधिक बिकने वाली जीवनी संबंधी पुस्तकों ‘स्पाई ¨प्रसेंज : द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ और ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल: द ट्रू स्टोरी ऑफ क्वीन्स क्लोजेस्ट कॉन्फिडैंट’ की लेखिका बासु ने एक दीक्षांत समारोह में ‘डाक्टर ऑफ लिटरेचर’ की अपनी मानद उपाधि ग्रहण की।

‘विक्टोरिया एंड अब्दुल: द ट्रू स्टोरी ऑफ क्वीन्स क्लोजेस्ट कॉन्फिडैंट’ पर एक फिल्म भी बनी है जिसे ऑस्कर के लिए नामित किया गया था और उसमें डेम जूड़ी डेंच ने अभिनय किया था। ब्रिटेन के किंग चाल्र्स तृतीय की बहन प्रिसेंज रॉयल-प्रिसेंज एन्नी ने विश्वविद्यालय की कुलाधिपति के तौर पर बासु को यह डिग्री प्रदान की।बासु ने इस ‘विनम्रतापूर्ण एवं गौरवपूर्ण क्षण’ का उल्लेख करते हुए अपने संबोधन में कहा कि 2009 में यह लंदन विश्वविद्यालय ही था जिसने हमें गॉर्डन स्क्वयर पर द्वितीय विश्वयुद्ध की नायिका नूर इनायत खान का स्मारक बनाने की अनुमति दी थी।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने नूर इनायत खान की स्मृतियों के महत्व को पहचाना जिनके बारे में उस समय लोग बहुत कम जानते थे। यह उनका स्मारक दिवस था जब 2012 में प्रिसेंज रॉयल ने उनकी आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया था। आज दुनियाभर से लोग इस स्मारक पर आते हैं और नूर की कहानी अच्छी तरह लोगों को पता चल गयी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक करने वाली डा. बासु ने अपने संबोधन में 1980 के दशक में पत्रकार के रूप में भारत से ब्रिटेन आने की अपनी यात्र का जिक्र किया जब वह कई छिपी हुई अद्भुत बातों से रूबरु हुईं और इन बातों को उनकी किताबों में जगह मिली। अब वह लंदन में रहती हैं।

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