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हमें हमेशा राम से प्रेरणा लेनी चाहिए, राम के आदर्श को अपने जीवन में लाना चाहिएः संत मोरारी बापू

दिल्ली के मेजरध्यानचंद्र स्टेडियम में मानस मर्मज्ञ संत मोरारी बापू द्वारा राम कथा का आयोजन

नई दिल्लीः दिल्ली के मेजरध्यानचंद्र स्टेडियम में मानस मर्मज्ञ संत मोरारी बापू द्वारा राम कथा का आयोजन हो रहा है। इस कथा में देश विदेश से सौकड़ो की हजारो की संख्या में भक्त उपस्थित है। भक्तो में समाज के सभी वर्ग के लोग जिसमें बच्चें, बूढें, जवान और महिलायें शामिल है। इस कथा से पूरे दिल्ली का मौहौल भक्तिमयी बना दिया है। कथा के दौरान मानस मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने बताया कि लोग हमेशा सोचते है एसा क्यों हो रहा? आगे क्या होगा ? लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जो अब तक हो रहा अच्छा हुआ, जो होगा वह अच्छा होगा हमें बस धैर्य, कठिन परिश्रम और ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए। हम क्या साथ में लाए थे और क्या साथ लेकर जाएंगे। राम कथा हमें जीना सिखाती है और कृष्ण कथा हमें मरना सिखाती है। अर्जुन के रथ पर जब तक भगवान कृष्ण सारथी बन कर रहे तब तक अर्जुन का किसी ने बाल भी बांका नहीं किया। जब अर्जुन भगवान को द्वारका छोड़कर आए तब अर्जुन का धनुष बाण साधारण भील लोगों ने लूट लिया। उन्होंने कहा कि हमें भी अपने जीवन रूपी रथ की डोर भगवान को सौंपना चाहिए। संसार की सेवा करो और प्रेम परमात्मा से करना चाहिए। शरीर को चलाने में जितना श्वास का महत्व होता है उतना ही परमात्मा में विश्वास का महत्व है। यहां सारा संसार विश्वास के ऊपर टिका हुआ है। विश्वास में ही परमात्मा का वास है। भागवत कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। आध्यात्मिक ज्ञान के लिए महापुरुषों द्वारा रचित ग्रंथों के प्रमाण की आवश्यकता होती है। हमारे शास्त्रों में धर्म के जितने भी विधि विधान लिखे हैं। उनके अनुसार हम सभी को भगवान राम के जीवन का आचरण करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम का आदर्श रखा है। उन प्रभु श्रीराम की लीलाओं के गायन, श्रवण से श्रोता व वक्ता दोनों का मन शुद्ध हो जाता है। ऐसी वाणी का श्रवण करने से मन भी प्रसन्न हो जाता है।

राम कथा आपके सभी सवालो का जवाव है
कथा के दौरान मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा अक्सर हम अपने जीवन में कई सवालो का जवाव खोजते है। कई बार इसे लेकर हम पर्शान भी रहते है। कलयुग में रामकथा कामधेनु है। उनके अनुसार जिस तरह कामधेनु हर इच्छा पूरी करती है उसी तरह राम कथा सच्चे भक्त की हर मनोकामना को पूरा करती है। प्रभु राम ने गुरु विश्वामित्र के आश्रम में विश्राम करने बाद जब आगे का सफर शुरू किया तो रास्ते में उन्होंने एक ओर दुष्टों और दानवों का अंत किया। वहीं अहिल्या का उद्धार भी किया।

राम के आदर्श को अपने जीवन में लायें
कथा के दौरान मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने अपने मुखाबिंदु से कहा कि हमें हमेशा राम से प्रेरणा लेनी चाहिए । अपने जीवन में राम ने सुख कम और दुख ज्यादा देखे। त्याग का सबसे बड़ा उदाहरण है राम। रामचरितमानस में भगवान राम के जन्म से लेकर विवाह तक के बहुत से घटनाक्रम आते हैं। सभी प्रसंग हमें प्रेरणा देते हैं। रामकथा की सीख को जीवन में आत्मसात करना चाहिए।

त्याग की भावना हमेशा हमें बलवान बनाती है
कथावाचक मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा कि छिनना आसान है छोड़ना कठिन, लेकिन त्याग हमेशा हमें बलवान बनाता है। जिसके अंदर त्याग उसके अंदर राम है। राजा बनना आसान है साधु बनना बेहद कठिन है। भरत जैसा भाई और उनके जैसा प्रेम होना कठिन है। मोरारी बापू ने कहा कि रामचरितमानस में भरत को साधु कहा गया है। उन्होंने कहा कि मानस का पाठ करने के साथ ही विनयपत्रिका को भी जीवन में आत्मसात करना बेहद जरूरी है। संसार में भरत जैसा भाई, उनके जैसा प्रेम करने वाला नहीं हुआ। सुख-दुख सभी के जीवन में एक समान आते हैं। मोरारी बापू ने कहा कि साधु से किसी ने पूछा कि नींद अच्छी आती है तो उसका कहना था कि सोये तो पता चले। साधु की महिमा अपरमपार है। जीवन के चार आश्रम हैं सभी का अलग-अलग महत्व है। भरत के जीवन में इन सभी आश्रमों का समावेश है। तभी वह साधु जैसा जीवन व्यतीत करने में सफल हुए। जिसको सभी समाज की भीतरी आवाज किसी को साधु कहे तो यह मानना चाहिए। अरण्यकांड का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रभु राम ने कुंभज से मंत्र प्राप्त किया और आगे बढ़े। जटायु से दोस्ती करने के बाद पंचवटी में निवास किया।

हमें हमेशा स्त्री का आदर करना चाहिए
कथा के दौरान मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने अपने भक्तों से कहा कि स्त्री मॉ जगदम्बा का रुप है। वह लक्ष्मी है। उसकी जितनी महिमा की जाये वह कम है। हमें हमेशा उसका सम्मान करना चाहिए। दिव्य दांपत्य के लिए जरूरी है कि पुरुष स्त्री को प्यार करे, स्त्री पुरुष का आदर करे। चूंकि पुरुष थोड़ा अभिमानी होता है इसलिए आवश्यक है कि स्त्री आदर प्रदान करके उसका विश्वास जीते। जब आदर और प्यार मिल जाए तब दिव्य परमतत्व का निर्माण शुरू करें। दाम्पत्य बिगड़ रहा है, क्योंकि इसे साधन माना जा रहा है, जबकि यह साध्य का विषय है। साधन में ऊब आती है। जीवन का नियम भी यही है कि सबको सबकुछ नहीं मिलता। संसार में जिसको मिलता है, अधूरा ही मिलता है, लेकिन परमात्मा जब भी मिलते हैं, पूरे मिलते हैं। युवा पीढ़ी को बापू ने कहा कि भोग की मनोवृत्ति भी दांपत्य को लम्बे समय तक नहीं बांधकर रख पा रही है, क्योंकि भोग का भी आचरण युवा पीढ़ी को पता नहीं है। सदभाग से जीवन सुधरता है।

कथा के साथ शेरो-शायरी और फिल्मी गानों का भी इस्तेमाल
कथावाचक मर्मज्ञ संत मोरारी बापू कथा के दौरान वह शेरो-शायरी और फिल्मी गानों का भी इस्तेमाल रामकथा में करते हैं। खुद सादगी से रहते हैं और सोच आधुनिक है। महिला अधिकारों के हिमायती हैं। हिंदू-मुसलमानों और सवर्ण-दलितों के बीच सेतु बनने की भी कोशिश करते हैं। कुछ दूसरे संत-महात्माओं की तरह वह साबुन, तेल, दवाओं के धंधे में नहीं उतरे। उन्होंने अपना जीवन समाज को ज्ञान देने के लिए समर्पित कर दिया है। कथा के दौरान मुरारी बापू ने अपने भक्तो को ज्ञान दिया कि जहां तक मुमकिन हो, सच बोलना और वह भी प्रिय बोलना। अहंकार से सावधान रहें। यह बड़ी आसानी और सूक्ष्म रूप से घुस आता है। रामकथा सिखाती है कि जितना हो सके, इसके प्रति जागरूक रहें। हर व्यक्ति को अपने धर्मग्रंथ का पठन-पाठन, चिंतन-मनन करना चाहिए। जहां तक हो सके, मौन धारण करके रहना चाहिए। इस मौन में उस परम तत्व की स्मृति बनी रहे, इसका निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए। शुभ का संग करना चाहिए।

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