Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

भारत को पूर्ण समुद्री उपस्थिति स्थापित करने के लिए चुनौतियों से पार पाना जरूरी :  Droupadi Murmu

चेन्नईः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने शुक्रवार को कहा कि भारत (India) अपनी समुद्री क्षमता का पूरा उपयोग कर सकता है लेकिन इससे पहले उसे बुनियादी ढांचा और देश के बंदरगाहों की संचालनगत चुनौतियों से निपटने सहित कई चुनौतियों से पार पाने की आवश्यकता होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि समुद्र पार करने के बारे में रूढ़िवादी सोच और आशंकाएं हमें महंगी पड़ीं, लेकिन अंतत: भारत 200 वर्षों के औपनिवेशिक शासन के चंगुल से बाहर आ गया। यह महाद्वीपीय विकास पर अधिक केंद्रित हो गया, जबकि महाद्वीपीय विकास और नौवहन विकास परस्पर पूरक हैं।
भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय (आईएमयू), चेन्नई के आठवें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, कि ‘निसंदेह, हमारे पास पूरी तरह से एक मजबूत समुद्री उपस्थिति स्थापित करने के लिए आर्थिक और औद्योगिक संसाधनों की भी कमी थी।’’ उन्होंने कहा कि देश इस क्षेत्र की संभावनाओं का पूरी तरह से लाभ उठा पाए, उससे पहले भारत को कई चुनौतियों से पार पाना होगा।
 द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने कहा, कि ‘उदाहरण के लिए गहराई संबंधी प्रतिबंधों के कारण कई मालवाहक जहाजों को पास के विदेशी बंदरगाहों की ओर मोड़ दिया जाता है। व्यापारिक और नागरिक जहाज निर्माण उद्योग में हमें दक्षता, प्रभावशीलता और प्रतिस्पर्धा के उच्चतम मानकों का लक्ष्य रखना होगा।’’  द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों की परिचालन दक्षता और (जहाजों के) लौटने के समय के वैश्विक औसत मानक से मेल खाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि जब वार्षिक पत्तन की बात आती है तो देश शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं होता है। दुनिया भर के 50 सर्वश्रेष्ठ कंटेनर बंदरगाहों की सूची में भारत के केवल दो ही ऐसे बंदरगाह हैं।
भारतीय बंदरगाहों को अगले स्तर पर पहुंचने से पहले निश्चित रूप से बुनियादी ढांचा एवं संचालनगत चुनौतियों से निपटना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मछली पकड़ने के अधिकतर जहाज अब भी मशीनीकृत किए जाने बाकी हैं। इस संदर्भ में ‘‘पत्तन विकास’’ से ‘‘पत्तन आधारित विकास’’ की दिशा में ‘सागरमाला’ कार्यक्रम उल्लेखनीय कदम रहा है।’’
Exit mobile version