Jagdeep Dhankhar Got Angry: नई दिल्ली: राज्यसभा में आज किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा चल रही थी कि तभी विपक्ष के नेता हंगामा और नारेबाजी करने लगे। विपक्ष के द्वारा किए गए इस हंगामें के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष पर भड़क गए । उन्होंने कहा कि आप मुद्दों पर राजनीतिकरण के साथ ड्रामा कर रहे हैं। इससे किसानों का हित नहीं होने वाला है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले को विस्तार से…
धनखड़ ने की आलोचना-
दरअसल, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामा कर रहे सांसदों की आलोचना की और कहा कि नारेबाजी और घड़ियाली आंसू बहाने से किसानों का कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों से कहा कि वे केवल किसानों के मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठा रहे हैं, जबकि असल में वे समाधान नहीं चाहते। धनखड़ ने यह भी कहा कि किसानों का हित उनके लिए प्राथमिकता नहीं है।
सदन में कामकाज में रुकावट-
धनखड़ ने यह भी बताया कि पिछले सप्ताह सदन में हंगामे के कारण कोई भी कामकाज नहीं हो सका। इस दौरान, किसान के मुद्दे पर एक भी नोटिस नहीं दिया गया, जो कि अफसोसजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी सांसदों ने हंगामा करने के बजाय समाधान पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो कुछ महत्वपूर्ण काम हो सकता था।
विपक्षी सांसदों को रोकते हुए धनखड़ की टिप्पणी-
सदन में हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों को रोकते हुए धनखड़ ने कहा कि उन्होंने पहले उन सांसदों को आश्वासन दिया था कि वे मर्यादा और अनुशासन का पालन करेंगे। लेकिन अब उन्होंने यह साफ कर दिया कि उनका व्यवहार एक रणनीति थी, और वह इसका ध्यान रखेंगे।
कांग्रेस का वॉकआउट और नारेबाजी-
आपको बता दें कि कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सांसदों ने सरकार की किसान विरोधी नीतियों और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाने के वादे को पूरा न करने के विरोध में राज्यसभा से वॉकआउट किया। वहीं इससे पहले कांग्रेस के सांसदों ने जमकर नारेबाजी की थी। वे इस बात पर नाराज थे कि जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत दिन के कामकाज को निलंबित करने का नोटिस अस्वीकार कर दिया था।
कांग्रेस सांसद का आरोप-
कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाने का अपना वादा पूरा नहीं किया है। उनका कहना है कि यही कारण है कि किसानों को फिर से आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ा है। तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों से किए गए अन्य वादों को भी पूरा नहीं किया है, जिससे किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका।
उच्च संवैधानिक पद पर बैठे लोगों की चुप्पी-
प्रमोद तिवारी ने यह भी कहा कि कुछ उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों ने किसानों के मुद्दे पर आवाज उठाने की बात की थी, लेकिन नतीजे के तौर पर कुछ भी सकारात्मक नहीं हुआ। उन्होंने इसे किसानों के साथ धोखा बताया और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।