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नाम हटाकर इतिहास को बदला नहीं जा सकता: Farooq Abdullah

श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जो नेता भाजपा का हिस्सा नहीं रहे हैं, उनके नाम हटाकर इतिहास को दफनाया या बदला नहीं जा सकता है और यह बरकरार रहेगा। यह पूछे जाने पर कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनके पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के लोकप्रिय नाम ‘शेर’ को ‘कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर’ से हटा दिया है, फारूक अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम हटा रहे हैं। वे हर उस नेता का नाम हटा रहे हैं जो उनका हिस्सा नहीं है, लेकिन इससे इतिहास नहीं बदलता।’’ डल झील के किनारे स्थित केंद्र को ‘शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर’ के नाम से जाना जाता था।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने 800 साल के मुगल शासन के इतिहास को किताबों से हटा दिया है, लेकिन ‘‘क्या इसका मतलब यह है कि मुगल यहां नहीं थे?’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब लोग ताजमहल देखने जाएंगे तो क्या कहेंगे, इसे किसने बनाया? जब लाल किले पर जाएंगे तो कहेंगे कि इसे किसने बनाया? जब वे जामा मस्जिद, हुमायूं का मकबरा, सफदरजंग मकबरा, कुतुब मीनार देखेंगे, वे क्या कहेंगे? आप इतिहास को दफन नहीं कर सकते, इतिहास सामने आएगा। हम गायब हो जाएंगे, ये लोग दूसरों की तरह गायब हो जाएंगे, (लेकिन) इतिहास बरकरार रहेगा।’’

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से जुड़े एक सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा कि हर कोई शीर्ष अदालत के सामने अपनी दलीले रख रहा है। ‘डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी’ के प्रमुख गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी कि भारत और जम्मू-कश्मीर में अधिकतर मुस्लिम, हिंदू धर्म से परिर्वितत हुए हैं, नेकां अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व कांग्रेस नेता आजाद इतिहास को जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनकी तरफ से नहीं बोल सकता, यह उन्हें जवाब देना है कि (उन टिप्पणियों की) क्या आवश्यकता थी।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमारे राज्य और लोगों का इतिहास बहुत अलग है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक समय था जब वहां हिंदू थे और जब बौद्ध धर्म बढ़ रहा था तो वे सभी बौद्ध धर्म में परिर्वितत हो गए। एक बार जब बौद्ध धर्म कमजोर पड़ गया, तो उन्होंने खुद को फिर से धर्मांतरित कर लिया। यह एक लंबा इतिहास है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपको याद रखना चाहिए कि सूफी संत अमीर-ए-कबीर कश्मीर आये और अपने साथ इस्लाम लाये, तो दबे-कुचले लोग उनके साथ जुड़े।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उस समय, हिंदू व्यवस्था में लोगों को उच्च ब्राह्मण और निम्न ब्राह्मण में ‘‘विभाजित’’ किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘निम्न ब्राह्मण को मंदिर में आने की भी अनुमति नहीं थी, उन्हें निम्न श्रेणी का माना गया था जैसे कि आज हमारे यहां दलित हैं, ठीक वैसा ही निम्न ब्राह्मणों के साथ हुआ।’’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जब लोगों ने देखा कि इस्लाम आ गया है जहां अमीर और गरीब के बीच कोई अंतर नहीं है और हर कोई बराबर है, सभी के लिए सुविधाएं हैं और लोगों में कोई विभाजन नहीं है, तो उन्होंने इस्लाम की ओर रुख किया।’’

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